किसानों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान खेती-बाड़ी में मोटा मुनाफा होने लगा है। किसान को अब अपनी मेहनत के दाम मिलने लगे हैं। छोटी जोत वाले किसानों को प्रगतिशील किसान राजकुमार सैनी से सीख लेनी चाहिए। मात्र डेढ़ एकड़ जमीन में बागवानी व सब्जी की फसल लेकर इतना कमा लेते हैं, जितना पांच एकड़ जमीन में गेहूं, धान व कपास की फसल उगाने वाला किसान नहीं कमा पाता।
आइडिया आपको कहीं से भी मिल सकता है। बस आपको उस आइडिया पर काम करने की ज़रूरत होती है। जींद के किसान राजकुमार सैनी डेढ़ एकड़ जमीन में आलूबुखारा व आड़ू का बाग लगा रखा है। पौने किला जमीन में आलूबुखारा व पौना किला में आड़ू का बाग है। आलूबुखारा वाले बाग में दस पेड़ माल्टा व दो लाइन में नींबू के पेड़ भी हैं। इस बार लॉकडाउन में आलूबुखारा का बाग करीब सवा लाख रुपये में बिक गया और करीब दस हजार में माल्टा की फसल बिकी।
अगर किसी चीज़ में कभी – कभी कुछ बदलाव किये जाएं तो यह हमें बहुत फायदा देता है। अब यह सर्दी आते ही आलूबुखारा के पौधों के बीच मेथी की फसल ले लेंगे। नींबू भी हर साल सात-आठ हजार रुपये का बिक जाता है। देशभर में अब यह सोच समाप्त होने लगी है कि खेती – बाड़ी बस नुकसान का सौदा है। यह एक पॉजिटिव बात है।
वर्तमान में अनेकों युवा खेती की तरफ अपना रुझान दिखा रहे हैं। आज अनेकों लोग खेती कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं। आड़ू के बाग के बारे में राजकुमार बताते हैं कि अब इस बाग में आंधी के कारण कई पौधे टूट गए हैं। चार साल पहले जब पौने किलो में आड़ू के पौधे पूरी तरह लहलहा रहे थे, तब 1.80 लाख रुपये में बेचा था। इस बार लॉकडाउन में 90 हजार रुपये का आड़ू बिक गया। आड़ू बिकते ही नीचे हल्दी व अरबी की फसल लगा दी।
खेती करना इतना आसान नहीं है लेकिन फिर भी आज अनेकों लोग इसी क्षेत्र में अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं। जब मन कुछ और करना चाहता है तो उसी की तरफ आपका दिमाग भी दौड़ता है। इस किसान ने भी यही कर दिखाया है।