किसान अब नए तरीकों से खेती करना शुरू कर चुके हैं। यह तरीका उन्हें मुनाफा भी ज़्यादा दे रहा है। कैमोमाइल वनस्पति को अपने औषधीय गुणों की वजह से ‘जादुई फूल’ कहा जाता है। यह कई असाध्य रोगों के लिए रामबाण दवा मानी जाती है। कम सिंचाई में भी कैमोमाइल की खेती की जा सकती है। यही वजह है कि यूपी के हमीरपुर और बुंदेलखंड की बंजर भूमि में इसकी खेती बड़े स्तर पर की जा रही है।
किसानों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान खेती-बाड़ी में मोटा मुनाफा होने लगा है। बेहद कम लागत में इसकी खेती होती है और अच्छा मुनाफा मिलता है। यही वजह हैं कि यहां के किसान बड़ी संख्या में इसकी खेती करने लिए आकर्षित हो रहे हैं।
किसान को अब अपनी मेहनत के दाम मिलने लगे हैं। आइडिया आपको कहीं से भी मिल सकता है। बस आपको उस आइडिया पर काम करने की ज़रूरत होती है। यहां के चिल्ली गांव के 70 फीसदी किसान कैमोमाइल वनस्पति की खेती कर रहे हैं। इस क्षेत्र के किसान ब्रम्हानंद बॉयो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं। इन दिनों कैमोमाइल की फसल में फूल खिले हुए हैं। इस वजह से यहां के किसानों में काफी उत्साह है।
अगर किसी चीज़ में कभी – कभी कुछ बदलाव किये जाएं तो यह हमें बहुत फायदा देता है। आयुर्वेद की लिहाज से कैमोमाइल का अपना महत्त्व है, वहीं बुंदेलखंड के किसानों को यह आर्थिक रूप से मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कैमोमाइल के पौधे को ‘जादुई फूल’ के नाम से जाना जाता है। यूपी के बुंदेलखंड, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकूट तथा झांसी जिलों के कई हिस्सों में इसकी खेती की जा रही है।
वर्तमान में अनेकों युवा खेती की तरफ अपना रुझान दिखा रहे हैं। आज अनेकों लोग खेती कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं। खेती करना इतना आसान नहीं है लेकिन फिर भी आज अनेकों लोग इसी क्षेत्र में अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं।