एक पिता अपने बच्चों के लिए संघर्ष की ज़िंदगी जीता है। बच्चों की खुशियों के लिए पिता दिन – रात मेहनत करता है। देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में हर साल लाखों लोग अपनी मेहनत के आकलन के लिए फॉर्म भरते हैं। इस परीक्षा में पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बहुत ही कम होती है। ऐसे में इस परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत के साथ साथ लगन होना भी बहुत ज़रूरी है।
यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। सफलता की कहानियां लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। आज हम श्रीधन्या सुरेश के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए UPSC की परीक्षा को पास किया। आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली श्रीधन्या अपने समुदाय की पहली आईएएस अधिकारी है। इतना ही नहीं उन्हें यूपीएससी में 410वीं रैंक भी हासिल हुई है।
कई युवा इन से प्रेरणा ले रहे हैं। इनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है। श्रीधन्या केरल के वायनाड जिले की रहने वाली हैं। उनका जन्म एक आदिवासी समुदाय के कुरिचिया में हुआ था । परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। पिता मनरेगा में मजदूरी करते थे। मनरेगा में मजदूरी के साथ साथ उनके पिता तीर और धनुष बेचते थे। किसी तरह परिवार का गुजर बसर हो रहा था।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा को पास कर IAS-IPS या अफसर बनने का सपना हर कोई देखता है। इस सपने को कुछ लोग सच कर दिखाते हैं तो कुछ असफल हो जाते हैं। उनकी गरीबी का अंदाज़ा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि उन्हें रहने के लिए को ज़मीन सरकार की तरफ से मुहैया कराई गई थी उसमें वो घर तक नहीं बनवा पाए।
गरीबी से तपकर अमीरी में पहुंचने वाले कभी अपना बूरा वक्त नहीं भूलते हैं। जब उनका रिजल्ट आया तो उनकी आंखों से आंसू आ गए उनकी सफलता को देखकर ना सिर्फ उनका परिवार बेहद खुश था बल्कि पूरे गांव में उनके सफल होने की खुशी मनाई जा रही थी। यूपीएससी में उन्हें 410 वी रैंक हासिल हुई और उनकी आईएएस बनने का सपना साकार हुआ.श्रीधन्या उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो गरीबी या मुश्किल हालातों से समझौता कर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।