खोरी दौरे के दौरान जिला उपायुक्त ने बच्ची को दी शाबाशी, लोगों से की यह अपील

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गुरुवार सुबह नगर निगम आयुक्त डॉ गरिमा मित्तल, उपायुक्त यशपाल एवं डीसीपी एनआईटी अंशु सिंगला सहित सभी प्रशासनिक अधिकारी खोरी बस्ती पहुंचे और वहां लोगों को समझाया।

प्रशासन द्वारा खोरी क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त कर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। इसके पश्चात वहां के निवासियों ने प्रशासन से अपील की थी कि वह स्वयं ही अपना सामान व निर्माण मलबा उठाना चाहते हैं।

खोरी दौरे के दौरान जिला उपायुक्त ने बच्ची को दी शाबाशी, लोगों से की यह अपील

इसके पश्चात बुधवार देर सायँ नगर निगम आयुक्त डॉ गरिमा मित्तल, उपायुक्त यशपाल एवं डीसीपी एनआईटी अंशु सिंगला ने पत्रकार वार्ता कर लोगों तक यह संदेश पहुंचाया था कि गुरुवार को तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं होगी और लोग अगर चाहे तो स्वयं अपने मकानों का सामान व अन्य मलबा उठा सकते हैं।

जिला उपायुक्त यशपाल यादव जब खोरी गांव का दौरा कर रहे थे तब एक लड़की अपने घर के बाहर पढ़ाई कर रही थी जिसे देख जिला उपायुक्त ने लड़की के सिर पर हाथ रखा तथा शाबाशी दी।

खोरी दौरे के दौरान जिला उपायुक्त ने बच्ची को दी शाबाशी, लोगों से की यह अपील

इस प्रकरण के बाद सभी के ज़हन में एक ही बात आ रही थी कि एक तरफ जिला उपायुक्त बच्ची को शाबाशी दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बच्चे का मकान उजाड़ा जा रहा है ऐसे में वह किस तरह से अपनी पढ़ाई पूरी करेगी यह सोचने का विषय है।


नगर निगम आयुक्त डॉ गरिमा मित्तल, उपायुक्त यशपाल एवं डीसीपी एनआईटी अंशु सिंगला सहित सभी प्रशासनिक अधिकारी खोरी बस्ती पहुंचे और वहां लोगों को समझाया। इस दौरान सभी अधिकारियों ने कहा कि निर्माण सामग्री जिसमें ईट चौखट खिड़की दरवाजे व अन्य जरूरी सामान है वह काफी महंगा होता है।

खोरी दौरे के दौरान जिला उपायुक्त ने बच्ची को दी शाबाशी, लोगों से की यह अपील

ऐसे में जो लोग चाहे तो वह अपना मलबा वह जरूरी सामान उठा सकते हैं। इसके लिए प्रशासन द्वारा वहां पर बड़ी संख्या में अर्थ मूवर्स व ट्रकों का इंतजाम किया गया था। इसके पश्चात बड़ी संख्या में लोग सामने आए और अपना सामान ले जाना शुरू किया।


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद खोरी गांव को हटाने के लिए प्रशासन ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है वही आज सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने खोरी गांव का जायजा लिया। लोगों की मांग है कि जब तक उन्हें मुआवजा या पुनर्वास नहीं दिया जाता तब तक वह अपना घर छोड़कर नहीं जाएंगे।