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आदेश की अवहेलना या लापरवाही का सबब, एक हफ्ते बाद भी नही बन पाया इन स्कूलों में शौचालय

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स्कूलों को एक आदर्श स्कूल बनाने के लिए कितनी मेहनत की जा रही है लेकिन सरकार के सपने कभी- कभी कामयाब होते होते रह जाते हैं, कभी पानी की प्रॉब्लम तो कभी शौचालय की दिक्कत देखने को मिलती है आज मुद्दा स्कूल में शौचालयो का है कि जिले में कई ऐसे स्कूल है जिनमे बच्चे शौचालय से वंचित है

जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने कुछ दिनों पहले स्कूल का दौरा किया जिसमें उन्होंने यह आदेश दिए कि 1 सप्ताह के अंदर स्कूल की साफ सफाई पर अधिक ध्यान दिया जाए

आदेश की अवहेलना या लापरवाही का सबब, एक हफ्ते बाद भी नही बन पाया इन स्कूलों में शौचालय

महामारी के कारण पहले से स्कूल ऑनलाइन लगाए जा रहे हैं 1 जुलाई की जगह स्कूलो को 15 जुलाई खोलने की तैयारी शुरू हो गई है इसको लेकर स्कूलों की साफ सफाई पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है इस समय संस्कृति स्कूलो पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि मॉडल संस्कृति स्कूल में फीस लेकर बच्चो को बेहतरीन शिक्षा देने की नीति को तैयार किया जा रहा है

आदेश की अवहेलना या लापरवाही का सबब, एक हफ्ते बाद भी नही बन पाया इन स्कूलों में शौचालय

जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी द्वारा दिए गए आदेशो को ताक पर रखकर आदेशो की अवहेलना की गई है एक सप्ताह के बाद भी स्कूलों में सुविधाओं पर कोई ध्यान नही दिया गया , गांव वजीरपुर, गांव सेहतपुर इस्माइलपुर ,बंसतपुर समेत कई स्कूलों में सुविधाएं नही है

रितु चौधरी का कहना है कि सभी स्कूल के मुखियाओं को आदेश दिया था कि सभी के द्वारा अपने स्कूल को एक बेहतर स्कूल बनाने की कोशिश की जाए और उसमे प्रत्येक सुविधा मुहैया कराई जाए उन्होंने कहा कि स्कूल मुखियाओं अपने अपने विद्यालयों में बिजली पानी किचन बागवानी की सुविधाएं उपलब्ध कराए

आदेश की अवहेलना या लापरवाही का सबब, एक हफ्ते बाद भी नही बन पाया इन स्कूलों में शौचालय

स्कूल के बाहर मेन गेट पर बड़े अक्षरों में स्कूल का नाम लिखा जाए, उसके बाद कोड भी लिखवाया जाए जिन विद्यालयों में शौचालय नही हैं उसमें बनाये जाए , इस बार मोर्डन संस्कृति स्कूलों को ध्यान में रखा जा रहा है इन स्कूलों में फीस ली जा रही है बल्कि अभी तक किसी भी सरकारी स्कूल में फीस नही ली जा रही थी

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