बुधवार को हाई कोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी व जस्टिस विकास बहल पर आधारित बेंच पंचकूला की ईडी कोर्ट को आदेश देते हुए फिलहाल 15 जुलाई को इस मामले में जो तय करने वालें आरोप को आगामी आदेश तक के लिए टाल दिया है। जिसके बाद
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को एजेएल भूखंड के पुन: आवंटन मामले में राहत मिल गई है।
वहीं हाई कोर्ट के जस्टिस मामले की सुनवाई की दौरान सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने ईडी की तरफ से पैरवी की। मेहता ने इस मामले में जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय देने की मांग की। मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में आरोप पत्र तय करने फिलहाल टाला जाए। मेहता व अन्य सभी पक्षों की दलील सुनने के कोर्ट ने ईडी कोर्ट को इस मामले में हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई की अगली तारीख तक आरोप तय करने को टालने का आदेश दिया।
कोर्ट ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पेशी से भी छूट देने का आदेश दिया। इस मामले में हुड्डा ने पंचकूला के एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में मनी लांड्रिंग मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने का ईडी के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित हालिया आदेश पर सवाल उठाया है। हुड्डा ने पंचकूला कोर्ट के 5 जुलाई के आदेश को बेहद मनमाना और आपत्तिजनक करार देते हुए कहा है कि ईडी के विशेष न्यायाधीश पंचकूला ने मामले में आरोप तय करने का मन बना लिया है और उसे केस की निष्पक्षता पर आशंका है।
याचिका में कहा गया कि 5 जुलाई को विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश अत्यधिक आपत्तिजनक और मनमाना पूर्व-निर्धारित है और न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि वह अगली तारीख 15 जुलाई को आरोप तय करेगा। हुड्डा ने एजेएल को भूखंड आवंटन के संबंध में अपने खिलाफ ईडी की शिकायत (एफआइआर) को भी खारिज करने के निर्देश भी मांगे हैं।
याचिका में यह भी बताया गया कि हाई कोर्ट ने एक जुलाई को एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में सीबीआइ मामले के संबंध में विशेष न्यायाधीश के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। 5 जुलाई को ईडी द्वारा दर्ज मामले पर याचिकाकर्ता (हुड्डा) ने पंचकूला के विशेष न्यायाधीश सुशील कुमार गर्ग के समक्ष एक आवेदन दायर कर सीबीआइ और ईडी मामले में मुद्दों को एक समान बताकर उनके मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया था।
दोनों मामलों में समान दस्तावेज व गवाह हैं। हाई कोर्ट सीबीआइ मामले में सुनवाई पर रोक लगाकर साफ कह चुका है। एक मामला दूसरे पर प्रभाव डालता है, लेकिन विशेष न्यायाधीश ने 5 जुलाई के आदेश को पारित करते समय इन महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।