प्राइवेट कर्मचारियों के लिए अच्छी ख़बर! इस तारीख से बेसिक सैलरी हो सकती है 15000 से बढ़कर 21000 रुपये, जानें नियम

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प्राइवेट कर्मचारी हमेशा अपने वेतन को लेकर परेशान ही नज़र आते हैं, उनका हमेशा से यही कहना हैं की उन्हें अपनी मेहनत से कम ही वेतन मिलता हैं। आम जन का कहना हैं कि महंगाई तो हर साल बढ़ती हैं लेकिन उनकी सैलरी पर कुछ खास इज़ाफ़ा नही होता।

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने करोड़ो कर्मचारियों के लिए एक अहम फैसला लिया हैं, खबर हैं कि 1 अक्टूबर से केंद्र की सरकार लेबर कोड के नियमो को लागू कर सकती हैं।

प्राइवेट कर्मचारियों के लिए अच्छी ख़बर! इस तारीख से बेसिक सैलरी हो सकती है 15000 से बढ़कर 21000 रुपये, जानें नियम

सूत्रों की मानें तो सरकार 1 जुलाई से लेबर कोड के नियमों के लागू करना चाहती थी, लेकिन राज्य सरकारों के तैयार नहीं होने के वजह से अब 1 अक्टूबर से लागू करने का टारगेट रखा गया हैं।

लेबर कोड के नियमों की माने तो कर्मचारियो की बेसिक सैलरी 15000 रुपये से बढ़ाकर 21000 रुपये हो सकती हैं। आपको बता दे कि लेबर कोड के नियमो को लेकर लेबर यूनियन द्वारा मांग रखी गई थी की कर्मचारियों की बेसिक सैलरी को 15000 रूपये से बढ़ाकर 21000 रुपये कर देनी चाहिए।

प्राइवेट कर्मचारियों के लिए अच्छी ख़बर! इस तारीख से बेसिक सैलरी हो सकती है 15000 से बढ़कर 21000 रुपये, जानें नियम

अगर ऐसा होता हैं तो आपकी आय बढ़ जाएगी, आपका मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए, इस नियम के बाद ज्यादातर कर्मचारियो के वेतन स्ट्रक्चर में बदलाव आएगा।

बेसिक सैलरी बढ़ने से PF और ग्रेच्युटी के लिए कटना वाले पैसा बढ़ जाएगा, क्योंकि इसमें जाने वाला पैसा बेसिक सैलरी के अनुपात में जाता हैं। ऐसे में घर आने वाली सैलरी कम हो जाती हैं और रिटायरमेंट पर मिलने वाला PF और ग्रेच्युटी बढ़ जाता हैं।

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लेबर यूनियन इसका विरोध कर रही थी, और न्यूनतम बेसिक सैलरी 21000 रुपए करने की मांग कर रही थी। लेबर मिनिस्ट्री के अनुसार, सरकार लेबर कोड को 1जुलाई से लागू करना चाहती थी लेकिन राज्यों सरकारों ने इसके लिए थोड़ा और समय मांगा जिसके चलते इसे 1अक्टूबर को लागू करने का फैसला किया गया।

संसद मैं अगस्त 2019 को तीन लेबर कोड इंडस्ट्रियल रिलेशन, काम की सुरक्षा, हेल्थ और वर्किंग कंडीशन और सोशल सिक्योरिटी से जुड़े नियमों में बदलाव किया था. ये नियम सितंबर 2020 को पास हो गए थे।

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ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के समय मिलने वाली राशि में इजाफा होगा। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होगी। क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान करना पड़ेगा। इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।