बल्लभगढ़ : एक तरफ जहां लोग कोरोना के चलते लॉक डाउन की मार झेल रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ नामी कंपनी जेसीबी ने अपने सैकड़ों मजदूरों को कंपनी से निकाल दिया है जिससे उनकी रोजी रोटी पर बन आई है। इसी के चलते आज कर्मचारियों ने रोड पर खड़े होकर कंपनी से अपनी रोजी-रोटी की गुहार लगाई। इस महामारी ने सैकड़ों लोगों का रोजगार उनसे छीन लिया है , अब देखना ये है कि आखिर कैसे देश से उभरेगा।मामले की ओर देखा जाए तो बताना चाहेंगे , सभी कामगारों ने सामाजिक दूरी के साथ अपनी आवाज़ उठाई ।
जेसीबी कंपनी ने मैनेजमेंट और टोटल कर्मचारियों सहित एक हजार निकाले हैं । आज प्रदर्शन करने वाले 100 लोग थे जो पिछले 3 दिन से प्रबंधन से मिलने का प्रयास कर रहे थे लेकिन प्रबंधन उनसे बातचीत करने के लिए तैयार नहीं। अंत में मजबूर होकर उन्हें अपनी आवाज़ को हड़ताल के रूप में तब्दील करते हुए अपनी समस्या को उजागर किया।
तस्वीरों में दिखाई दे रहा नजारा बल्लभगढ़ के समीप स्थित जेसीबी कंपनी के बाहर का है । जहां पर आज सैकड़ों कर्मचारी हाथों में बैनर लेकर गुहार लगा रहे हैं कि उनकी रोजी-रोटी बचाई जाए क्योंकि उनको कंपनी से निकाल दिया गया है और उनका गेट बंद कर दिया गया है।
कामगारों की माने तो वह कंपनी में पिछले 20 – 25 साल से नौकरी कर रहे हैं लेकिन अब उनको एक मैसेज दिया गया है और उनका गेट भी बंद कर दिया गया। लॉकडाउन के दौरान उनके पास मैसेज भेजा गया कि उनका फुल फाइनल हिसाब किया जा रहा है। कंपनी में प्रोडक्शन भी अच्छी चल रही है लेकिन उसके बावजूद भी कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया गया और गेट बंद कर दिया ।
उनका कहना है कि अब उनके परिवार का पालन पोषण किस तरीके से होगा क्योंकि वह अपनी ड्यूटी के ऊपर ही निर्भर थे। अब कंपनी ने उनको कंपनी के अंदर से पानी पीने तक की भी मनाही कर दी है जबकि वह भीषण गर्मी में गुहार लगाने के लिए खड़े हैं कि उनकी रोजी-रोटी ना छीनी जाए। कंपनी प्रबंधन में उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं है।
सरकार द्वारा कोरोना काल के दौरान रोजगार बनाए रखने के लिए योजना तो आई लेकिन फिर भी बेरोज़गारी का सिलसिला जारी है , आखिर क्यों ?
हमारे पाठकों के लिए सवाल , बेरोज़गारी को हटाने के लिए सरकार द्वारा कौन सी योजना कोरोना काल के दौरान लाई गई ?