ससुर ने कायम की मिसाल : बेटे की मौत के बाद बहू की शादी करवा के साथ दान किया इतना बड़ा उपहार

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    किसी भी पिता के लिए सबसे बड़ा दुःख होता है अपने बेटे को खो देना। किसी भी पत्नी के लिए सबसे असहनीय दुःख होता है अपने पति को खो देना। इस दुनिया में आपको हर तरह के इंसान मिल जाएंगे। कोई इंसान अपने नेक काम की वजह से लोगों की तारीफ बटोरता है तो कई लोग अपने बुरे कामों की वजह से जाने जाते हैं।

    इतिहास गवाह है कि इंसान के साथ उसकी अच्छाई हमेशा जाती है। अच्छे कर्मों को हमेशा याद किया जाता है। आप लोगों ने ऐसी बहुत सी खबरें सुनी होंगी, जिसमें जब किसी महिला का पति इस दुनिया को छोड़ कर चला जाता है तो ससुराल वाले उस पर अत्याचार करते हैं। यहां तक कि घर में रहना भी विधवा महिला के लिए काफी मुश्किल हो जाता है।

    ससुर ने कायम की मिसाल : बेटे की मौत के बाद बहू की शादी करवा के साथ दान किया इतना बड़ा उपहार

    महिला के लिए ऐसे पल निकालना सबसे कठिन काम हो जाता है। उसकी ज़िंदगी काफी बेरस हो जाती है। लेकिन आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक परिवार के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। इस परिवार की तारीफ प्रदेश के चारों तरफ हो रही है। आपको बता दें कि डिप्टी रेंजर पद से रिटायर हुए रवि शंकर सोनी के बेटे संजय सोनी की एक महीने पहले सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी जिसकी वजह से घर में बहू और दो बच्चियों के सिर से पिता का साया उठ गया था।

    ससुर ने कायम की मिसाल : बेटे की मौत के बाद बहू की शादी करवा के साथ दान किया इतना बड़ा उपहार

    साया उठ जाने के बाद चहुंओर मातम का आना – जाना था। उनकी मृत्यु के पश्चात पूरे परिवार में मातम का माहौल बना हुआ था। सभी लोग बेहद दुखी थे। खासतौर से संजय सोनी की पत्नी पर क्या बीत रही होगी, यह शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है। बेटे संजय सोनी की मृत्यु के बाद बहू का रो-रो कर बुरा हाल था। पति के जाने की वजह से वह पूरी तरह से टूट गईं थीं। रवि शंकर सोनी का ऐसा बताना है कि उनके बेटे संजय का विवाह 2008 में करेली की रहने वाली सरिता से हुई थी। जिनकी दो बेटियां हैं।

    ससुर ने कायम की मिसाल : बेटे की मौत के बाद बहू की शादी करवा के साथ दान किया इतना बड़ा उपहार

    बेटियों की उम्र भी काफी छोटी है। ससुराल और घर में चिंता बढ़ती जा रही थी कि इन बच्चियों का क्या होगा। इसी बीच रविशंकर ने एक बड़ा ही साहसिक कदम उठाया। जी हां, रवि शंकर ने अपनी बहू का दूसरा विवाह कराने का फैसला ले लिया। उनके परिवार ने अपने बहू की विदाई बेटी की तरह अपने घर से की। साथ सारी संपत्ति भी बहु के नाम कर दी।