कोरोना काल में लिवर ट्रांसप्लांट के मामलों में आई है कमी, लोगों में जागरूकता की जरूरत
फरीदाबाद, 3 अगस्त। कोविड-19 महामारी के बीच पिछले तीन महीनों में अपोलो हॉस्पिटल ने 30 से अधिक सफल अंग प्रत्यारोपण किए हैं। जबसे ट्रांसप्लांट प्रोग्राम शुरू किया गया है तब से लेकर अबतक 9000 सफल अंग प्रत्यारोपण हुए हैं जो अपने आप में उपलब्धी भरा रहा है।
यह बात वरिष्ठ लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. नीरव गोयल ने पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए कही।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में वर्ष 2019 की अपेक्षा ट्रांसप्लांट के केस कम हुए हैं। लोगों में जागरूकता के लिए इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लिवर, किडनी, हार्ट, लंग, पैनक्रियाज एवं मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोरोना काल में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है इसके बवाजूद हम इसे बखूबी अंजाम दे रहे हैं।
डॉ. गोयल ने बताया कि बच्चों के अंग ट्रांसप्लांट इस समय काफि दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्यूंकि बच्चे के साइज का अंग मिलना महामारी के चलते सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है। वहीं दूसरे बच्चों के अंगों का मिलान होना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इसी दौरान फिलीपिंस से आए 2 वर्षीय बच्चें का सफल लिवर ट्रांसप्लांट कर उसकी जान बचाई गई।
बच्चा लिवर रोग की अंतिम स्टेज पर पहुंच गया था। अपोलो भारत में पहला सफल पीडिएट्रिक व एडल्ट लिवर ट्रांसप्लांट बन गया है। उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट के प्रति फरीदाबाद समेत पूरे दिल्ली एनसीरआर के बड़े स्तर पर जागरूकता कैम्पेन चलाना जरूरी है।
जागरूकता की कमी से 2019 में घटे ट्रांसप्लांट के मामले
डॉ. गोयल ने कहा कि 2015 के बाद से दिल्ली में अंगदान को लेकर कोई खास प्रगति नहीं हुई है और महामारी से स्थिति और बिगड़ी है। 2015 में दिल्ली में 1725 किडनी, 529 लिवर और 6 हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए थे। तब से इस संख्या में कमी ही आई है। महामारी से पहले यानी 2019 में दिल्ली में 1416 किडनी, 358 लिवर और 2 हार्ट ट्रांसप्लांट किए गए थे।
डॉ नीरव गोयल ने महामारी के इस दौर में भी नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (नोटो) और अस्पताल द्वारा तय किए गए सुरक्षा प्रविधानों का पालन करते हुए किडनी ट्रांसप्लांट किए हैं। नोटो के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल से जून के बीच दिल्ली में लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट के मामले क्रमश: 50 और 30 रहे हैं। साल की पहली तिमाही में लीवर ट्रांसप्लांट 100 से 120 और किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या 250 रही थी।