दस साल पहले जब नीरज अपना वजन कम करने स्टेडियम जाते तब शुरुआत में उनसे सारे गेम्स खिलवाए जाते थे। जिसमें से एक जैवलिन भी था। नीरज हर रोज स्टेडियम जाता था और भाला फेंक की वीडियो रिकॉर्ड करता था। उसके बाद अपने पिता को आकर दिखाता था। परिवार में किसी को पता नहीं था कि नीरज की किस खेल में रुचि है।
नीरज के पिता ने बताया कि उन्होंने नीरज से कभी नहीं पूछा कि वह किस खेल की तैयारी कर रहा है। जब पिता ने नीरज की भाला फेंक की वीडियो देखी तब उनको पता चला कि नीरज का पसंदीदा खेल जैवलिन है।
नीरज के स्टेडियम जाने से पहले परिवार में किसी ने भी जैवलिन का नाम तक नहीं सुना। पिता ने आगे बताया कि बेटे के बताने के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया की यह कौन सा खेल है। नीरज ने जब अपनी वीडियो दिखाई तब उनको पता चला कि भाले को जैवलिन कहते हैं।
इतने सालों में नीरज के पिता ने पहली बार ओलंपिक में बेटे का प्रदर्शन लाइव देखा। पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में जैवलिन की शुरुआत से लेकर नीरज के पिता कभी उसका खेल देखने न तो स्टेडियम गए और न ही टीवी पर लाइव देखा।
लेकिन शनिवार को पिता ने पूरे गांव वालों के साथ नीरज का फाइनल मुकाबला लाइव देखा। वहीं कोच जितेंद्र बताते हैं कि शुरुआत से लेकर अभी तक नीरज के पिता एक बार भी बेटे का मुकाबला देखने नहीं आए। यह पहली बार था जब उन्होंने नीरज का मैच देखा।
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खेल की शुरुआत के तीन महीने बाद पिता सतीश ने एल्यूमीनियम मिक्स पहला भाला दिलवाया जिसकी कीमत सात हजार रुपए थी। नीरज के अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपना दूसरा भाला 50 हजार रुपए का खरीदा। फिलहाल नीरज डेढ़ लाख के भले से अभ्यास करते हैं।
मुकाबले में 80 मीटर से नीचे भाला रह जाने पर नीरज के पिता ने कहा कोई बात नहीं। गांव खंडरा से ही नीरज को प्रोत्साहित किया गया। पिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वह नीरज के साथ खड़े होकर उसमें जोश भर रहे हों। वहीं मैच के दौरान वह कई बार खुशी से नाचते दिखे तो कई बार मन्नतें भी मांग रहे थे।
अपनी पहली ही ओलंपिक में नीरज ने स्वर्ण पदक जीतकर पिता सतीश चोपड़ा का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। पिता सतीश ने कहा कि चार साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों के बाद सब बदल गया। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद से गांव खंडरा की जगह लोग नीरज का गांव कहकर ज्यादा जानते हैं।
गांव खंडरा की जगह लोग कहते हैं नीरज के गांव जाना है। अब ओलंपिक में गोल्ड लाकर नीरज ने गांव का नाम पूरे भारत में प्रसिद्ध कर दिया। अब देश के लोग खंडरा को नीरज के नाम से जानेंगे।
.@Neeraj_chopra1,1st Indian to win Olympic gold in athletics, makes India proud!
— DD News (@DDNewslive) August 7, 2021
Clinches Gold in Javelin with a jumbo throw of 87.58 metres.
Seventh Medal for India at #TokyoOlympics #Cheers4India @ianuragthakur @IndiaSports@Media_SAI pic.twitter.com/YHsHtdhq7t
चाचा भीम चोपड़ा ने कहा कि जब तक हमने नीरज को पाला तब तक वह केवल हमारा बेटा था लेकिन ओलंपिक में गोल्ड जीतने के बाद वह पूरे देश का बेटा बन गया है।
दादा धर्मवीर सिंह चोपड़ा ने कहा कि गांव आने पर नीरज का भव्य स्वागत किया जाएगा। पोते नीरज ने पूरे देश का नाम रोशन किया है। दादा ने आगे कहा कि उनको अपने पोते पर पूरा विश्वास था कि वह एक दिन देश का नाम जरूर रोशन करेगा।