युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत में शिक्षण संस्थानों की भूमिका’ विषय पर सेमिनार का आयोजन

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फरीदाबाद, 24 अगस्त – जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत में शिक्षण संस्थानों की भूमिका’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संगठक सतीश कुमार कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट, एलुमनाई एवं कारपोरेट मामलों के डीन प्रो. विक्रम सिंह, कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग, स्वदेशी जागरण मंच में उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख सतेन्द्र सौरोत, अग्रवाल कालेज के प्राचार्य डाॅ. कृष्णकांत के अलावा फरीदाबाद, पलवल तथा मेवात से शिक्षण संस्थानों के सदस्य भी उपस्थित थे।

युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत में शिक्षण संस्थानों की भूमिका’ विषय पर सेमिनार का आयोजन

इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने कम्युनिटी कालेज के माध्यम से युवाओं को कौशलवान बना रहा है ताकि वे रोजगार के सक्षम बने और देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग दे।

उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच के साथ आत्मनिर्भर हरियाण मुहिम से जुड़ा खुशी की बात है। युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना विश्वविद्यालय के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का हिस्सा रहा है, जिस पर विश्वविद्यालय निरंतर कार्य कर रहा है।

युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत में शिक्षण संस्थानों की भूमिका’ विषय पर सेमिनार का आयोजन

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सतीश कुमार ने विद्यार्थियों को विद्यार्थी जीवन के साथ-साथ रोजगार, स्वरोजगार एवं उद्यमशीलता के महत्व से परिचित करवाया। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से देश को बाहर निकलने में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

उन्होंने कहा कि देश में 18 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं की तादाद 37 करोड़ है, जोकि अमेरिका की कुल आबादी से भी ज्यादा है। देश के पास युवा शक्ति के रूप में अमूल्य धरोहर है जोकि सबसे मूल्यवान धातु सोने से ज्यादा कीमती है।

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सतीश कुमार ने कहा कि देश में 65 हजार से ज्यादा कालेज और एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय है, जिनमें प्रतिवर्ष करोड़ों युवा रोजगार की अपेक्षाओं को लेकर शिक्षा ग्रहण करते है। लेकिन रोजगार के लिए पहले डिग्री लेने की मानसिकता गलत है। देश में बेरोजगारी के स्थाई समाधान के लिए युवाओं को इस मानसिकता से बाहर आना होगा और पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार हासिल करने पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के पांच सूत्र भी दिये, जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ कमाई करना, नौकरी ढूंढने की बजाये नौकरी देने अर्थात उद्यमशीलता पर काम करना, नई सोच के साथ अभिनव पर बल देना, मेहनती, साहसी और तकनीकीशील बनना और राष्ट्र पहले व स्वदेशी जरूरी की सोच के साथ का काम करना शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि युवाओं को देश में गरीबी दर को कम करने तथा 2030 तक देश की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने पर काम करना होगा।

युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत में शिक्षण संस्थानों की भूमिका’ विषय पर सेमिनार का आयोजन

उन्होंने ओयो रूम्स, फ्लिपकार्ट और पतंजलि समूह जैसी प्रमुख राष्ट्रीय कंपनियों का उदाहरण दिया और बताया कि कैसे महत्वाकांक्षा रखने वाले साधारण लोगों ने कम उम्र में सफलता को हासिल किया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी विचारधारा को अपनाना ही हमारे लिए एक अच्छा विकल्प है।

उन्होंने युवाओं को ‘जॉब सीकर’ के बजाय ‘जॉब क्रिएटर‘ बनने की अपील की और यह विश्वास जताया कि जे.सी. बोस विश्वविद्यालय भविष्य के उद्यमी बनने के लिए अपने छात्रों में आत्मविश्वास पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।