इस महिला ने 5 साल में छोड़ी 9 सरकारी नौकरियां, अब बनेगी IAS अधिकारी

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     इस महिला ने 5 साल में छोड़ी 9 सरकारी नौकरियां, अब बनेगी IAS अधिकारी

    अगर आप में काबिलियत है तो सफलता खुद-ब-खुद पीछे आएगी। सरकारी नौकरियों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में एक बार भी सरकारी नौकरी लगना आसान नहीं है, मगर इस मामले में राजस्थान की प्रमिला नेहरा की जिंदगी मिसाल है। 26 साल की यह लड़की कुल 9 बार सरकारी नौकरी लग चुकी है। इनमें से वर्ष 2013 से 2018 के बीच महज पांच साल में 7 बार तो सरकारी नौकरी छोड़ चुकी है। अब 2021 में आठवीं बार छोड़ने को तैयार है।

    नेहरा ने पांच साल में 9 सरकारी नौकरियां हासिल कीं, लेकिन अपना सपना पूरा करने के लिए सभी को ठुकरा दिया। उन्होंने सात बार लगी लगाई सरकारी नौकरी का मौका क्यों गंवा दिया और अब वो क्या चाहती हैं? प्रमिला की जिंदगी उन लोगों के लिए प्रेरणादायी है, जो कोई बड़ा लक्ष्य तय करते हैं और छोटी सी कामयाबी मिलने पर ही रुक जाते हैं। आगे बढ़ना बंद कर देते हैं।

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    पुराने समय में जहां महिलाओं को घर की चारदीवारी के बीच रखा जाता था वही आज के समय महिलाओं ने पूरे विश्व में अपनी मेहनत और लगन का लोहा मनवाया है। बता दें कि प्रमिला नेहरा राजस्थान के सीकर जिले के गांव सिहोट छोटी की रहने वाली हैं। वर्ष 1994 में सिहोट छोटी के जाट रामकुमार नेहरा व मनकोरी देवी के घर पैदा हुई प्रमिला एक बहन व एक भाई से छोटी है। इनके पिता किसान व मां हाउसवाइफ हैं। भाई महेश नेहरा आरएसी कांस्टेबल के रूप में चूरू में कार्यरत हैं।

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    मिला बचपन से ही कलेक्टर बनना चाहती हैं। आज के समय महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है चाहे वह पढ़ाई की बात हो या खेल की बात हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र। बता दें कि प्रमिला नेहरा अब तक नौ बार सरकारी लग चुकी हैं। सात नौकरी छोड़ दी और आठवीं नौकरी के रूप में राजस्थान के नागौर जिले के नावां लिचाणा के सरकारी स्कूल में बतौर वरिष्ठ शिक्षिका कार्यरत हैं। प्रमिला की शादी सीकर जिले के गांव बोदलासी के राजेंद्र प्रसाद रणवा के साथ हुई है। राजेंद्र प्रसाद दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हैं।

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    वह यूपीएससी क्लीयर करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। प्रमिला ने बताया कि उनकी पहली सरकारी वर्ष 2013 में एसएससी जीडी और राजस्थान पुलिस में बतौर कांस्टेबल लगी थी, मगर ये दोनों ही परीक्षा देना का मकसद नौकरी लगना नहीं था बल्कि अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को परखना था। इत्तेफाक देखिए कि दोनों ही परीक्षाओं में चयन हो गया, मगर मैंने ज्वाइन नहीं किया।