विश्व लोकतंत्र दिवस प्रत्येक बारह वर्ष 15 सितंबर को मनाया जाता है। लोकतंत्र दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में लोकतंत्र को बढ़ावा देना है। लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें किसी भी देश के नागरिक अपने मताधिकार द्वारा अपना प्रतिनिधि स्वयं चुनते हैं।
एक लोकतांत्रिक देश में किसी भी व्यक्ति को अपने विचार रखने की आजादी प्राप्त होती है। वह किसी के भी सामने अपने विचार खुलकर प्रकट कर सकता है, अपने फैसले स्वयं ले सकता है, किसी भी धर्म को अपना सकता है, हर प्रकार की स्वतंत्रता उसे प्राप्त होती है।
विश्व लोकतंत्र दिवस के मौके पर पहचान एनजीओ की टीम द्वारा पीआर एमआर विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ वाद विवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अनेकों छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा प्रथम, द्वितीय व तृतीय आने वाले छात्रों को प्राइज भी वितरित किए गए।
विश्व लोकतंत्र दिवस के मौके पर पहचान एनजीओ की टीम ने एमआर यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ के साथ वाद विवाद कार्यक्रम का आयोजन दोपहर 2 बजे किया गया, जिसमें बहस का विषय था : क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मिथक है ?
कार्यक्रम के जज कल्याण श्रीनिवास रौतेला, राहुल जोशी तथा डॉक्टर आदित्य चोपड़ा थे। इस वाद विवाद कार्यक्रम में विजेता बच्चों को सर्टिफिकेट और पुरस्कार भी वितरित किए गए। यूनिवर्सिटी की अर्पिता वत्स ने कार्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त किया, द्वितीय स्थान विपिन तथा पूनजी शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
एफएमईएच की डीन डॉक्टर मैथिली गंजू व आरएमआर के डायरेक्टर डॉक्टर गुरजीत कौर चावला इस मौके पर उपस्थित रहे। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा वर्ष 2007 में विश्व लोकतंत्र दिवस की शुरुआत हुई थी तथा वर्ष 2008 में सबसे पहले यह मनाया गया था।
विश्व लोकतंत्र दिवस के तहत पूरे विश्व में सुशासन लागू करना है। भारत देश को ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहा जाता है, क्योंकि यहां लगभग 60 करोड़ लोगों द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करके सरकार को चुना जाता है।