अमेरिका तो छोड़ो अब टाटा ने किया भारत सरकार की मुश्किल को रातों रात दूर, जानिए कैसे

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     अमेरिका तो छोड़ो अब टाटा ने किया भारत सरकार की मुश्किल को रातों रात दूर, जानिए कैसे

    रतन टाटा की अगुवाई में टाटा ग्रुप की कंपनियां महामारी के खिलाफ शामिल हो गई है। रतन टाटा के पास बेशुमार दौलत है, लेकिन इसके बावजूद वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नहीं आते। उन्होंने कई नेक काम किये हैं। और इन्हीं से पता चल जाएगा कि आदरनीय रतन टाटा जी को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग समय समय पर क्यों उठती है और क्यों भारत की जनता उन्हें भारत रत्न का सबसे बड़ा हकदार समझती है।

    टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और टाटा ग्रुप की कंपनियां मिलकर महामारी वायरस के राहत कोष में 1500 करोड़ रुपये देंगी। जितनी भी बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियां है, बिजनेसमेन है यह सभी लोग अपनी कमाई का बेहद छोटा सा अमाउंट चैरिटी या फिर अपनी सोशल रिस्पोंसिविलिटी के लिए खर्च करते है लेकिन उसको हाईलाईट बहुत ही बड़े पैमाने में किया जाता है।

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    रतन टाटा अपनी कमाई का 65 फीसदी हिस्सा दान कर देते हैं। टाटा ग्रुप ने अपनी सोशल रिस्पोंसिविलिटी बखूबी निभाई है और जितना कमाया है उससे कई ज्यादा गुना तो टाटा ग्रुप ने सोसाइटी को वापिस भी दे दिया है फिर वो बात करें कमाई का 66% हिस्सा सोसाइटी के चैरिटेबल कामों के लिए खर्च करना हो या फिर किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय भारत सरकार की मदद करनी हो या फिर आर्थिक मंदी हो।

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    उनकी कंपनी का जो भी प्रॉफिट होता है वो उसे समाज कल्याण के लिए दान कर देते हैं। टाटा ने कई अलग अलग तरीकों से अपना योगदान दिया है। भारत की कई राज्य सरकारों को मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन प्रोवाइड करनी हो टाटा कंपनीज आज भी युद्ध स्तर पर काम कर रही है। भारत में एस्ट्राजेनिक ऑक्सफोर्ड की कोविड शिल्ड और भारत वायोटैक की को वैक्सीन बस इन दोनों की ही मैनुफैक्चरिंग लार्ज स्केल पर हो रही है जिनका लाइसेंस भी भारत ने कुछ ही वैक्सीन मैनुफैक्चरर के पास है।

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    रतन टाटा ने हमेशा अपने जीवन में काम को ही सबकुछ समझा। रतन टाटा के लिए काम करना मतबल पूजा करना है। टाटा ने यह भी एलान कर दिया है की वह अपने 6 लाख से ज्यादा एम्प्लोयीज और ट्रेड पार्टनर को फ्री में वैक्सीनेट करेंगे।