जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए। हार मानने वालों के लिए यह दुनिया नहीं है। छोटी सी इरा को देखकर कभी नहीं लगता कि ये इतने बड़े-बड़े काम कर सकती हैं। इतनी सहज इतनी सुलझी हुयी कि जैसे कोई चुनौती उन्हें डिगा ही नहीं सकती. बचपन से ही स्कोलियोसिस बीमारी से ग्रस्त इरा ने कभी खुद को कभी चैलेंज्ड नहीं माना।
भारत में यूपीएससी सबसे श्रेष्ठ और उच्च स्तर की परीक्षा करवाती है। इसे पास करना हर किसी का सपना होता है। इरा कहती हैं, कमियां सबमें होती हैं पर दिखाई किसी-किसी की देती हैं। मेरे जैसे लोगों की कमी दिखाई देती है पर इसका मतलब यह नहीं कि इसे लेकर बैठ जाएं।
यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद ही देश के उम्मीदवार आईएस, आईपीएस आईएफएस बनते हैं। लाइफ में ऐसा कुछ नहीं जो हम नहीं कर सकते। अपना पोटेंशियल इंसान को खुद पता होता है, सामने से कोई आकर आपको आपकी क्षमताएं नहीं बता सकता। आपको यह हक किसी को देना भी नहीं चाहिए। इसलिए सपने देखिए और उन्हें पाने के लिए आगे बढ़िये।
युवाओं का सपना होता है कि वह पढ़ लिख कर एक दिन सिविल सर्विसेज की परीक्षा दें और उसमें सफल होकर आईएएस अधिकारी बनकर देश की सेवा करें। इरा का जन्म मेरठ में हुआ और शुरुआती शिक्षा भी। जब इरा पैदा हुई थीं तो एक आम बच्चे जैसी ही थीं पर जैसे -जैसे उनकी उम्र बढ़ी ये बीमारी सामने आने लगी। उनके मां-बाप ने बहुत इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं हुआ। एक डॉक्टर ने ऑपरेशन सजेस्ट किया पर जिसमें जान का खतरा था इसलिए इरा के मां-बाप ने कभी ये ऑप्शन ऑप्ट नहीं किया।
दिव्यांग होने के कारण समाज के लोगों के ताने सहे और उनके द्वारा मजाक का जरिया बनी लेकिन इसी चीज को अपनी मजबूती और मनोबल बढ़ाने का तरीका बनाया। जैसे इरा की स्पाइन एस शेप की है। उनकी आर्म पूरी तरह काम नहीं करती और बाकी अंग भी फुली एक्टिव नहीं हैं। हालांकि इससे उन्हें अपने काम करने में खास दिक्कत पेश नहीं आती और जो दिक्कतें आयीं उन्हें कभी इरा ने राह की बाधा बनने नहीं दिया।