इन जगहों पर की जाती है रावण की आराधना, ये लोग आज भी दशानन को मानते है राजा

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    भारत में यह समय नवरात्री का चल रहा है। यह त्याहोर 9 दिन का होता है और दसवें दिन दशहरा बनाया जाता है। नवरात्रि के बाद दसवें दिन विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे दशहरा कहते हैं। रावण को भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त बोला जाता है और शिवजी की पूजा करके रावण ने बहुत सारे वरदान प्राप्त किए थे जिसकी वजह से वह अपराजित था, लेकिन बोला जाता है कि रावण की हार का कारण सिर्फ और सिर्फ एक ही था वह है उसका अहंकार।

    विजयदशमी के दिन रावण का दहन होता है। पूरे भारत मे रावण का पुतला बना कर जलाया जाता है। देश मे रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है और दशहरे पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है। बता दे कि दशानन रावण की श्रीलंका मे पूजा होती है वह भी बहुत जोरो-शोरो से। यहां दशानन रावण की पूजा की जाती है ओर यही कारण हैं जिसकी वजह से रावण को लंकापति रावण बोला जाता है।

    इन जगहों पर की जाती है रावण की आराधना, ये लोग आज भी दशानन को मानते है राजा

    हमारी संस्कृति में भले ही रावण को खलनायक के रूप में देखा जाता हो, लेकिन हमारे ही देश में भी कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उस‍का पूजन किया जाता है। श्रीलंका दुनिया का एक मात्र ऐसा देश नहीं है जहाँ लंकापति रावण की पूजा की जाती है भारत में भी कई जगह रावण को पूजा जाता है। रावण ब्राह्मण समाज के थे और आज भी अगर ब्राह्मण समाज का नाम लिया जाता है तो भगवान परशुराम के बाद रावण का ही नाम आता है।

    इन जगहों पर की जाती है रावण की आराधना, ये लोग आज भी दशानन को मानते है राजा

    देश में मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण को पूजा जाता है। श्रीलंका पर रावण ने राज किया था, अगर सीधे शब्दों में बोला जाए तो रावण श्री लंका का राजा था और अपने राज मेब रावण ने कभी भी वहाँ की जनता को नुकसान नही पौछाया ओर हमेशा उनकी मदद की। अपने शाषण कालबमे रावण ने लंका को सोने की बना रखा था और सभी उसे सोने की लंका के नाम से जानते थे और इस बात का तो इतिहास भी गवा हैं।

    इन जगहों पर की जाती है रावण की आराधना, ये लोग आज भी दशानन को मानते है राजा

    श्रीलंका के लोगो के लिए रावण भगवान की तरह हैं क्योंकि यही श्रीलंका का एक ऐसा राजा था जिसने अपने शाषण काल मे राज्य को ही सोने का बना दिया था और वहा के लोगो का बहुत कल्याण किया था। यही कारण है जिसकी वजह से आज भी श्रीलंका मे रावण की पूजा की जाती है।