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अरावली के ऊपर मंडरा रहा है संकट का बादल, आज नहीं बचाया जल तो बर्बाद होगा हमारा कल

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औद्योगिक नगरी सहित गुरुग्राम में दिल्ली के लिए अरावली पहाड़ी माइनों में बहुत अहम है। साथ ही यह न केवल हवा को शुद्ध कर रही है, बल्कि भूजल सर भी इसी की वजह से बचा हुआ है। हालांकि खनन और इसमें हुए निर्माण की वजह से भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है और यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड के मास्टर प्लान 2041 के मसौदे में हुए प्रतिदान लागू हुए तो बहुत बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

वहीं इस संकट का सामना एनसीआर के हर जन को भी करना पड़ेगा खनन और कालोनाइजेशन की अनुमति मिलते ही पेड़ों की धड़ाधड़ कटाई शुरू हो जाएगी। इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ेगा। साथ ही इस मसौदे के खिलाफ अरावली बचाने के लिए अब एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं और अरावली की गोद में सैकड़ों डैम भी है।

अरावली के ऊपर मंडरा रहा है संकट का बादल, आज नहीं बचाया जल तो बर्बाद होगा हमारा कल

साथ ही बरसात के समय अरावली पहाड़ी में पानी का खूब संरक्षण होता है और अरावली की गोद में सैकड़ों चेक डैम है और चैक डैम भूजल को संरक्षित करने का केंद्र है। वही इसकी गहराई की बात करी जाए तो 10 से 20 फुट होती है, लेकिन लंबाई 50 से 100 मीटर है या मौका देखकर तय की जाती है। यह उस जगह बनाए जाते हैं, जहां पानी का ऊपर से आने का फ्लो अधिक हो वही आपको बता दें कि चेक डैम ऊपर से आने और बहते पानी को रोक देते हैं। इसके बाद यहां से पानी धीरे-धीरे रिसाव होकर नीचे चला जाता है और इसका असर भूजल स्तर पर भी पड़ता है।

वही आपको बता दें कि अक्सर प्यास बुझाने के लिए जीव रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं। इसके आसपास नमी होने से हरियाली भी बढ़ती है अगर अरावली में खनन होता है। तो इसका सीधा असर चेक डैम पर पड़ेगा यहां तक पानी भी नहीं पहुंच पाएगा अरावली के आसपास संकट आ सकता है।

अरावली के ऊपर मंडरा रहा है संकट का बादल, आज नहीं बचाया जल तो बर्बाद होगा हमारा कल

वही अरावली तलहटी में बसे हुए गांव में भूजल स्तर हर साल खिसक रहा है और अब यहां 500 से 600 फुट पर जलस्तर पहुंच गया है साथ ही नगर निगम द्वारा लगाए गए आसपास ट्यूबवेल भी जवाब देते जा रहा हैं। और हर साल करीब 10 ट्यूबवेल के बोर के नीचे पानी समाप्त हो जाता है। इस बारे में सामाजिक संस्थाओं ने कई बार आवाज उठाई। शासन-प्रशासन को कई शिकायतें दी, लेकिन ठोस योजना नहीं हो सकी और खामियाजा भुगत चुकी हैं।

वही अगर अरावली में खनन का खामियाजा ऐतिहासिक बड़खल झील भुगत चुकी है। दो दशक पहले यह झील पानी से लबालब रहती थी, लेकिन खनन के बाद जगह-जगह बनी झील ने यहां पानी आने से रोक दिया गया था और जब तक बड़खल झील में पानी रहता था तो, आसपास के गांव में भूजल स्तर ठीक था। वही फिलहाल कई साल से अरावली में खनन बंद है। यदि दोबारा खनन हुआ तो बहुत परेशानी भी हो सकती हैं।

अरावली के ऊपर मंडरा रहा है संकट का बादल, आज नहीं बचाया जल तो बर्बाद होगा हमारा कल

वही कई साल से अरावली बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और शासन-प्रशासन से शिकायत की जाती रही हैं और अदालत में भी मामला लेकर गए हैं।और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड ने एनसीआर के लिए जारी मास्टर प्लान-2041 के मसौदे में किए गए। साथ ही प्रविधानों का सीधा नुकसान अरावली को ही होगा और उनका कहना है कि , हम चुप नहीं बैठेंगे और इस मामले को अदालत लेकर जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट भी अरावली को लेकर बहुत सख्त है।

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