मात्र 5 रुपए में जरूरतमंदों को भरपेट भोजन देने वाली “जीवन ही उद्देश्य” नाम की संस्था

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एक तरफ दिन प्रतिदिन ठंड का आवेश लोगों को अपनी जकड़ में ले रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस कड़ाके की ठंड में भी कुछ लोग फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर है, इतना ही नहीं फुटपाथ पर सोने के साथ सर उनके पास खाने के नाम पर दो वक्त की रोटी का भी नसीब नहीं हो रही है।

बढ़ती महंगाई चरम सीमा पर पहुंच चुकी है, और लोग जैसे तैसे अपने घर का गुजारा कर रहे हैं। मगर ऐसे में मात्र 5 रुपए में जरूरतमंदों का पेट भरने वाली संस्था एक वरदान साबित हो रही है।

मात्र 5 रुपए में जरूरतमंदों को भरपेट भोजन देने वाली “जीवन ही उद्देश्य” नाम की संस्था

वैसे तो कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे आ रही है। कहीं कोई जरूरतमंदों की खाना खिलाने में मदद कर रहा है तो कोई उन्हें रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। ऐसा ही एक प्रयास “जीवन ही उद्देश्य” नाम की संस्था भी कर रही हैं। यह संस्था आज भी गरीबों और जरूरतमंदों की मदद कर रही है। जिसके बाद उनके इस सराहनीय कार्यों की हर कोई तारीफ कर रहा है।

मात्र 5 रुपए में जरूरतमंदों को भरपेट भोजन देने वाली “जीवन ही उद्देश्य” नाम की संस्था

ये संस्था आज लोगों को 5 रूपये में नाश्ता और 5 रूपये में ही कपड़े उपलब्ध कराती हैं। जिससे गरीब भी इस कड़ाके की ठंड से खुद को बचा पाते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दो वक़्त की रोटी जुटाने में भी असक्षम हैं ऐसे में वे भी यहाँ आकर 5 रूपये में नाश्ता कर सकते हैं। लंबे समय से ये संस्था ये काम करती हुई आ रही है। लोग भी इस संस्था के प्रयासों को खूब सराहा रहे हैं।

मात्र 5 रुपए में जरूरतमंदों को भरपेट भोजन देने वाली “जीवन ही उद्देश्य” नाम की संस्था

संस्था के एक सदस्य न बताया कि एक बार उन्होंने एक व्यक्ति को दुर्घटना स्थल से अस्पताल पहुंचाया जिसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें लोगों की मदद के लिए कुछ करना चाहिए| तभी संस्था ने 2018 में लोगों के लिए काम करना शुरू किया। सोशल मीडिया ग्रुप पर भी धीरे धीरे कई लोगों ने जुड़ना शुरू कर दिया।

मात्र 5 रुपए में जरूरतमंदों को भरपेट भोजन देने वाली “जीवन ही उद्देश्य” नाम की संस्था

हालांकि शुरुआत में ये संस्था फ्री में ही खाना खिलाती थी और साथ ही कपड़े भी फ्री में ही बांटती थी। उस वक़्त लोगों से एक रुपया भी नहीं लिया जाता था। उन्होंने कहा कि उनका भरपूर प्रयास है कि हर जरूरत मंद तक उनकी संस्था पहुंच सकें, ताकि कोई भूखा पेट न सोएं।