2030 तक भारत होगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी, ग्रीन एनर्जी में होगा दबदबा- मुकेश अंबानी

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 2030 तक भारत होगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी, ग्रीन एनर्जी में होगा दबदबा- मुकेश अंबानी

2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़ देगी। इस बार के इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन में भारत ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन की अगुआई करेगा। एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी ने दावा किया है कि जल्दी ही भारत जापान को पीछे छोड़ देगा। भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही भारत जापान को जीडीपी के मामले में पीछे छोड़ देगा। साथ ही भारत एशिया की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के कारण पर्यावरण में बदलाव के कारण पृथ्वी के जीवों का बहुत नुकसान हुआ है। साथ ही उन्होंने तीन टारगेट भी सेट किए हैं जिन पर भारत को काम करने की जरूरत है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन पुणे इंटरनेशनल सेंटर के कार्यक्रम एशिया इकोनॉमिक डॉयलॉग 2022 में एक चर्चा में भाग ले रहे थे। उनसे जब पूछा गया कि आने वाले समय में भारत और एशिया की क्या स्थिति रहने वाली है।

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इसका जवाब में उन्होंने कहा कि एशिया ने पिछली 2 सदियों के दौरान बुरा समय देखा है। अब एशिया का समय आ चुका है और 21वीं सदी एशिया की होगी। ग्लोबल इकोनॉमी का सेंटर एशिया शिफ्ट हो चुका है। एशिया की जीडीपी बाकी दुनिया से ज्यादा हो चुकी है।

सबसे शानदार होगी भारत की ग्रोथ स्टोरी

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भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अंबानी ने कहा कि 2030 तक भारत की जीडीपी जापान से ज्यादा हो जाएगी। इसके बाद भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। माना की चीन की ग्रोथ स्टोरी बहुत शानदार है लेकिन भारत की स्टोरी भी किसी से कम शानदार नहीं होगी।

भारत को इन चीजों पर काम करने की है जरूरत

इसके लिए उन्होंने तीन टारगेट भी सेट किए हैं। अंबानी ने कहा कि भारत को फिलहाल केवल तीन चीजों पर काम करने की जरूरत है। सबसे पहले भारत 10 फीसदी से ज्यादा के ग्रोथ रेट के लिए एनर्जी आउटपुट बढ़ाना होगा।

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उन्होंने दूसरा काम बताया कि भारत को एनर्जी बास्केट में क्लीन एंड ग्रीन एनर्जी का शेयर बढ़ाना होगा। तीसरा और आखिरी काम होगा आत्मनिर्भर बनना। अगले 10-15 साल में भारत की कोयले पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

अर्थ फ्रेंडली इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन

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मुकेश अंबानी ने इस दौरान ‘अर्थ फ्रेंडली इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन’ टर्म भी उछाला। उन्होंने कहा कि यूनिवर्स में कोई प्लैनेट बी नहीं है। सिर्फ प्लैनेट अर्थ ही है जहां जीवन है।

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अभी तक के तीनों इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन के कारण पृथ्वी को बहुत ही नुकसान पहुंचा है। इसी को देखते हुए जरूरी है कि अब अर्थ फ्रेंडली इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन की ओर बढ़ें। पर्यावरण में हुए बदलावों के कारण धरती के सभी जीवों का नुकसान हुआ है। उनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी बनती है।

ग्रीन एनर्जी में भारत का दबदबा

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रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन ने कहा कि अभी तक इंडस्ट्री इकोनॉमी जीवाश्म ईंधनों पर केंद्रित रही है। इससे पहले जब कोयला बेस्ड रिवॉल्यूशन हुआ तो यूरोप को काफी फायदा हुआ था। बाद में जब इकोनॉमी क्रूड ऑयल पर फोकस्ड हुई तो अमेरिका और पश्चिम एशिया ने तरक्की की। अब ग्रीन एंड क्लीन एनर्जी का समय है और भारत को इसमें लीडर बनना है। ग्रीन एनर्जी की ओर ट्रांजिशन ही अर्थ फ्रेंडली इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन लाएगा।

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उनका कहना है कि अगले 20 सालों में नई पीढ़ी के उद्यमी भारत को ग्रीन एनर्जी का लीडर बना देंगे। भारत जीवाश्म ईंधनों से ग्रीन एनर्जी की ओर ट्रांजिशन की अगुवाई करेगा। आने वाले कुछ दशकों में देश सोलर व हाइड्रोजन एनर्जी में ग्लोबल लीडर बन जाएगा। अभी भारत आईटी में लीडर है, आने वाले समय में इसके साथ ही ग्रीन एनर्जी और लाइफसाइंस में भी भारत नंबर एक होगा। हर जगह भारत का दबदबा होगा।