2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान

2 female constables became Yashoda, saved the life of two and a half-month-old innocent by feeding her milk alternately

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 2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान

2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान :- बहुत से ऐसे लोग है जिनके मन में पुलिस को लेकर नकारात्मक सोच है ये तो आप सभी जानते है पर हर कोई एक जैसे नहीं होते। मुसीबत के समय में अक्सर देखा जाता है की पुलिसवाले ही अपनी जान पर खेल कर लोगो मदद करते है और अपना फर्ज बखूबी निभाते है।

आज हम आपको पुलिस की ऐसे ही एक दिल छूने वाली घटना के बारे में बताने जा रहे है जिसने इस क्रूरता भरे समाज में मानवता की एक मिसाल पेश की है। यह घटना राजस्थान के कोटा संभाग के बारां जिले में के बारे में है जहा पुलिस का नया मानवीय अवतार देखने को मिला है।

2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान
2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान

दरअसल, जिले के सारथल पुलिस थाने इलाके में ढाई महीने की मासूम बच्ची को भीषण गर्मी में भूख और प्यास से तड़पते देख थानाधिकारी से लेकर हर एक जवान उसकी चिंता में परेशान होने लगा।

बच्ची की ऐसी हालत देखकर थाने की दो महिला कांस्टेबलों ने उसे बारी-बारी अपना दूध पिलाकर उस बच्ची की भूख शांत की और सभी लोगो का दिल जीत लिया।

दोनों महिला कांस्टेबल ने पिलाया बच्ची को अपना दूध

इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए थानाधिकारी महावीर किराड़ और एएसआई हरि शंकर नागर के द्वारा बताया गया कि ढाई महीने की मासूम के लिए पुलिस थाने पर तैनात दोनों महिला कांस्टेबलों ने यशोदा मां बनकर बारी-बारी अपने आंचल का दूध पिलाया और उस मासूम बच्ची की जान बचाई।

सारथल थानाधिकारी महावीर किराड़ ने बताया कि 4 मई की दोपहर उन्हें सूचना मिली थी, जिसमें एक व्यक्ति नशे की हालत में थाना इलाके बाबड़ के पहाड़ी जंगली क्षेत्र से पैदल गुजर रहा है, जिसके पास छोटी बच्ची है।

2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान
2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान

मां के आने तक दोनों महिला कांस्टेबल ने की बच्ची की देखभाल

जैसे ही उन्हें सूचना मिली डीओ हरि शंकर नागर सूचना के आधार पर बाबड़ के जंगल में तलाश करने के लिए निकल पड़े। तलाश करते समय बाबड़ क्षेत्र के जंगल में झाड़ियों में घुसा हुआ उन्हें व्यक्ति दिखाई दिया, जिसकी पूछताछ करने पर व्यक्ति वही पाया गया। उस व्यक्ति के पास गर्मी से बेहाल बेहोशी की हालत में एक ढाई महीने की बच्ची मिली।

जब व्यक्ति से पूछताछ की गई तो यह पाया गया कि ढाई महीने की बच्ची का वह पिता है, जिसका नाम राधेश्याम काथोड़ी है। वह छीपाबडौद थाना इलाके के सालापूरा का रहने वाला है।

पूछताछ में यह भी पता चला कि वह अपने ससुराल झालावाड़ जिले के कामखेड़ा इलाके के गांव बंधा से सुबह 4:00 से 5:00 बजे के लगभग बच्ची को लेकर चुपचाप पैदल रवाना हो गया था। वह पैदल ही भूखी प्यासी बच्ची के साथ नशे की हालत में 15 किलोमीटर दूर सालापूरा जा रहा था।

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2 महिला कांस्टेबल बनीं यशोदा मां, बारी-बारी अपना दूध पिलाकर बचाई ढाई महीने के मासूम की जान

इस मामले को लेकर बच्ची की मां को सूचना दे दी गई है। जब तक कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने बच्ची की मां की तरह देखभाल की, जहां बारी बारी दोनों महिला कांस्टेबल ने बच्ची को दूध पिलाया।

महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा के द्वारा बताया गया कि बच्ची की ऐसी हालत देखकर लगा कि वह काफी घंटे से भूखी है। उसके होठ सूखे हुए थे। इतनी छोटी बच्ची को ऊपर का कुछ नहीं दे सकते। हम दोनों के भी एक साल के बच्चे हैं।

इसलिए बिना कुछ सोचे और देरी किए पहले पूजा ने फिर मुकलेश ने बच्ची को स्तनपान करवाया। मुकलेश और पूजा ने यह बताया कि यह तो भगवान की कृपा है कि एक अनजान आदिवासी बच्ची ने हमारा दूध पिया है।

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