खेलते समय 4 साल के बच्चे ने निगली बैटरी, 8 मिनट में निकालकर बचाई गई जान

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 खेलते समय 4 साल के बच्चे ने निगली बैटरी, 8 मिनट में निकालकर बचाई गई जान

खेलते समय ग्लूकोमीटर की बैटरी निगलने के बाद एक चार साल के बच्चे को मौत का खतरा था। बच्चा खिलौनों से खेल रहा था। पास में ग्लूकोमीटर रखा था, वह उससे खेलने लगा और मुंह में लगा लिया। इसकी छोटी गोल और चमकदार बैटरी को देखकर बच्चे ने इसे मुंह में डाल लिया। बैटरी बच्चे की खाने की नली में फंस गई। परिजन बच्चे को अस्पताल ले गए, जहां ऑपरेशन कर बच्चे की जान बचा ली गई। डॉक्टरों ने कहा कि अगर थोड़ी और देरी होती तो बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। मामला फरीदाबाद का है। डॉ. शुभम वात्स्य ने बताया कि दिल्ली के ओखला में चार साल का बच्चा रहता है। वह अपने घर में खिलौनों से खेल रहा था। खिलौनों के साथ शुगर चेक करने के लिए इस्तेमाल होने वाला ग्लूकोमीटर भी रखा गया था।

 

परिवार दिल्ली से फरीदाबाद पहुंचा

खेलते समय 4 साल के बच्चे ने निगली बैटरी, 8 मिनट में निकालकर बचाई गई जान

आपको बता दें कि बच्चे के हाथ में ग्लूकोमीटर की बटन जैसी बैटरी आ गई है। खेलते-खेलते बच्चे ने बैटरी मुंह में ले ली और वह उसकी खाने की नली में फंस गई। बच्चा जब खांसने लगा और रोने लगा तो परिवार को लगा कि गले में कुछ फंसा है। वह बच्चे को ओखला के एक अस्पताल में ले गए। पर्याप्त संसाधन नहीं थे। इसके बाद बच्चे को फरीदाबाद लाया गया।

 

बिना सर्जरी के 8 मिनट में बैटरी निकाल दी गई

खेलते समय 4 साल के बच्चे ने निगली बैटरी, 8 मिनट में निकालकर बचाई गई जान

बता दें कि अस्पताल में आकर जब जांच की गई तो यह बटन जैसी बैटरी खाने की नली में फंसी हुई पाई गई। खाने की नली में बैटरी रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। ऐसे में एंडोस्कोपी की मदद से बैटरी को पहले पेट में धकेला गया और रोथ नेट डिवाइस की मदद से तुरंत बाहर निकाल लिया गया। इस उपकरण का उपयोग ऐसे बाहरी पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने के लिए किया जाता है। बैटरी को आठ मिनट के भीतर हटा दिया गया और बच्चे को उसी दिन छुट्टी दे दी गई।

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