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अपनी मांगों के समर्थन में सीटू के आह्वान अपने अपने कार्य स्थलों पर पहुंचकर काली पट्टी बांधकर अलग किया विरोध

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आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर हैल्पर्स यूनियन एवम् आशा वर्कर यूनियन ने अपनी मांगों के समर्थन में आज सीटू के आह्वान पर अपने अपने कार्य स्थलों पर पहुंचकर काली पट्टी बांधकर अलग अलग विरोध किया। यह जानकारी आंगनवाड़ी वर्कर वर्कर्स एवम् हेल्पर यूनियन की राज्य प्रधान देवेंद्र री शर्मा जिला सचिव मालवती एवं आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रधान हेमलता और जिला सचिव सुधा पाल ने संयुक्त रूप से जारी एक बयान में दी।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना वायरस की महामारी के चलते आंगनवाड़ी वर्करों एवं हेल्पर को आगनबाड़ी केंद्रों को खोलकर अनाज बांटने की जिम्मेवारी सौंप दी। और आशा वर्करों को घर घरों में जाकर सर्वे का कार्य पूरा करके लाने के लिए कहा गया। लेकिन इन कार्यों के करने के लिए उनको जीवन रक्षक जरूरी उपकरण जैसे मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर इत्यादि सामग्री नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर से विभाग के अधिकारी लगातार काम ले रहे हैं, उन्हें मास्क बनाकर बांटने की जिम्मेदारी और सौंप दी गई।

इसके लिए मौखिक आदेश दिए जाते हैं। इन आदेशों में किसी अन्य विभाग का भी कार्य भी करवाया जाता हैं। यूनियन के सभी सदस्य जन हित को सर्वोपरि मानते हुए ईमानदारी से काम करते हैं। संगठन की समझ स्पष्ट है कि देश के ऊपर आये इतने बड़े सकंट में हमें लोगो की मदद के लिए, काम करना चाहिए।,परन्तु सरकार जमीनी स्तर पर वर्कर्स एवम् हेल्पर्स के लिए काम करती नजर नही आ रही, उनकी समस्याओं का समाधान करने की बजाय केवल भाषण ही भाषण परोसे जा रहे हैं। आंगनवाड़ी वर्कर हेल्पर को पूरे प्रदेश में पिछले तीन महीने से मानदेय नही मिला है।, प्रदेश के कई आंगनवाड़ी केंद्रों का किराया तक नहीं दिया गया है।

इस तरह से आशा वर्करों से भी लगातार कार्य लिया जा रहा है लेकिन मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता है। विभाग के मंत्री,ने जहां कोरोना बीमारी के दौरान काम करने वाले स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारियों का वेतन दोगुना करने की घोषणा की थी वहीं आशा वर्करों को छोड़ दिया गया।

हेमलता और सुधा पाल ने बताया कि उन्होंने अपनी लंबित मांगों को लेकर मिशन डायरेक्टर को भी पत्र लिखा था लेकिन उन्होंने भी आशा वर्करों की मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया। विभाग आशा वर्करों से अधिक काम लेता है लेकिन इस काम के बदले में उन्हें न्यूनतम वेतन तक नहीं मिलता है।

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