अरावली को किया जाएगा ड्रोन की मदद से हराभरा

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    अरावली को किया जाएगा ड्रोन की मदद से हराभरा : फरीदाबाद शहर की ऑक्सीजन कही जाने वाली अरावली को और भी हराभरा बनाया जाएगा | जिले में मानसून कभी भी दस्तक दे सकता है | ऐसे में वन विभाग भी पौधारोपण के साथ वन क्षेत्र को हरा भरा बनाने के लिए तैयारियों में जुटा है |

    खबरों के मुताबिक, मानसून के मौसम में अरावली वन क्षेत्र को हराभरा बनाने के लिए विभाग ड्रोन से एरियल सीडिंग का प्रयोग करेगा। वन विभाग पांच हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से सीड बॉल्स का छिड़काव करेगा |

    अरावली को किया जाएगा ड्रोन की मदद से हराभरा

    पेड़ पौधों से ही जीवन है, लेकिन यह बात हम भूल गए हैं | इस बार विभिन्न किस्म के बीजों को अरावली क्षेत्र में बिखेरते हुए भविष्य के लिए हरियाली का माहौल तैयार करने की योजना है | अरावली में कई ऐसे क्षेत्र हैं , जहां आसानी से पहुंच पाना संभव नहीं है। उन क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए ड्रोन का प्रयोग किया जाएगा |

    अरावली को किया जाएगा ड्रोन की मदद से हराभरा

    महामारी के इस काल में सभी को पेड़ – पेड़ों की एहमियत पता चल गयी है | ऐसे बहुत से पेड़ पौधे हैं जो संक्रमण को काबू कर सकते हैं | अरावली के करीब 11 हजार हेक्टेयर में से 40-50 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रयोग के तौर पर शीशम, पीपल, बेरी, नीम, कीकर, रौंझ, खैरी, बड़, आम, पहाड़ी पपड़ी, शहतूत, सीरस, इमली, लसूडा, गूल्लर, कचनार, गूंदी आदि प्रजातियों के बीज ड्रोन के माध्यम से गिराए जाएंगे, ताकि बारिश के पानी और जमीन की नमी का फायदा उठाकर ये बीज भविष्य में हरियाली बढ़ाने में मददगार साबित हो सकें|

    विधायक हो या पार्षद सभी को पेड़ – पौधों की एहमियत बताने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए | पिछले वर्ष तत्कालीन पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ने भी ड्रोन के माध्यम से अरावली में बीज डाले थे | वन विभाग की ओर से ट्रायल के तौर पर जिले के 40-50 हेक्टेयर अरावली क्षेत्र में बीजों का छिड़काव किया जाएगा | इसके सही परिणाम तो अगले साल ही पता चल पाएगा |

    अरावली को किया जाएगा ड्रोन की मदद से हराभरा

    पेड़ – पौधों पर इन्वेस्ट कर हम अपने आने वाले कल को अच्छा कर सकते हैं | अरावली में एरियल सीडिंग के दौरान पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पौधों को बचाने के लिए हाइड्रोजेल तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा | हाइड्रोजेल एक प्राकृतिक तत्व है, जो अपने भार से लगभग 400 गुना तक पानी सोख लेता है | पौधा पानी की कमी को एक लंबे समय तक सहन कर सकता है, जिसके कारण पौधे में बार-बार पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है |