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कोरोना काल में फरीदाबाद सहित एनसीआर में बायोमेडिकल कचरा बना संकट

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बायोमेडिकल कचरा : फरीदाबाद शहर हो या एनसीआर का कोई भी शहर उसकी नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने के लिए लोगों को समझाना चाहिए वे घरों को अलगाव के बारे में शिक्षित करें और केवल सामान्य सुविधाओं के लिए उपचार के लिए जैव-चिकित्सा अपशिष्ट भी भेजें | लेकिन नगर निगम यह करने में असमर्थ नजर आता है | देश में कोरोना का कहर कई महीनों बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है | हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है |

नगर निगम अगर जनता को सलाह देता रहता तो आज एनसीआर सहित देश के बहुत से जिले इस मुसीबत से बच सकते थे | कोरोना वायरस की वजह से एक ओर जहां आर्थिक गतिविधियों को झटका लगा वहीं दूसरी ओर एक और समस्या खड़ी होती नजर आ रही है |

कोरोना काल में फरीदाबाद सहित एनसीआर में बायोमेडिकल कचरा बना संकट

महामारी का प्रकोप तो थमने को तैयार नहीं है, लेकिन साथ ही बायोमेडिकल कचरा भी अब समस्या का सबब बनने लगा है। आलम यह है कि एनसीआर में यह मई माह की तुलना में यह 14 गुना तक बढ़ गया है | पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी एक रिपोर्ट में बताया है कि राजधानी में निकल रहे कोविड-19 बायोमेडिकल कचरे की मात्रा मई में 25 टन प्रतिदिन से बढ़कर जुलाई में प्रतिदिन 349 टन तक हो गई है |

कोरोना काल में फरीदाबाद सहित एनसीआर में बायोमेडिकल कचरा बना संकट

फरीदाबाद नगर निगम ऑफिस के पास ही बीके अस्पताल है, गत दिनों 1 टन से अधिक बीके के आस – पास बायोमेडिकल कचरा देखने को मिला था | रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में जून में प्रतिदिन 372 टन कोविड-19 बायोमेडिकल कचरा निकला इस से मिलता झूलता हाल फरीदाबाद का है |

बीके अस्पताल के पास नगर निगम का ऑफिस होने के बावजूद, अधिकारीयों ने कोई कचरे को लेकर सुध नहीं ली | दिल्ली में दो कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटीज- एसएमएस वाटर ग्रेस प्राइवेट लिमिटेड और बायोटिक वेस्ट सॉल्यूशन लिमिटेड हैं जो प्रतिदिन क्रमश: 24 टन और 50 टन कचरे का निदान कर सकते हैं |

कोरोना काल में फरीदाबाद सहित एनसीआर में बायोमेडिकल कचरा बना संकट

रिपोर्ट इतनी भयावह है कि कोरोना के बाद यह सबसे बड़ा खतरा बनता दिखाई दे रहा है | रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में उत्तर प्रदेश के छह जिले- बागपत, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर ने मिलकर जून में प्रतिदिन 247.32 टन कोविड-19 बायोमेडिकल वेस्ट निकाला, जो जून में 137 टन प्रतिदिन था, जबकि मई में यह प्रतिदिन सिर्फ 14.5 टन ही था |

फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी तो नाम दे रखा है, लेकिन निगम अधिकारी जिले को गंद सिटी बनाने में लगे पड़े हैं | सुप्रीम कोर्ट में पेश ईपीसीए की रिपोर्ट के मुताबिक फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल, पानीपत और सोनीपत सहित एनसीआर में हरियाणा के 13 जिलों ने मिलकर जुलाई में प्रतिदिन 162.23 टन कोविड-19 कचरा निकाला, जबकि यही जून में 155.89 टन प्रतिदिन और मई में 54.1 टन प्रतिदिन था|

कोरोना काल में फरीदाबाद सहित एनसीआर में बायोमेडिकल कचरा बना संकट

हरियाणा वासी हो या फरीदाबाद वासी सभी अपने जिले को साफ़ रखने का प्रयास अपने स्तर पर करते हैं, लेकिन नगर निगम अधिकारी लोगों को जागरूक नहीं कर सकते बायोमेडिकल कचरे के लिए | रिपोर्ट में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को दिशा-निर्देश दिए जाने का भी जिक्र है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी कॉमन फैसिलिटीज के संयंत्रों में ऑनलाइन सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली स्थापित हो और इससे प्राप्त डाटा राज्य बोर्ड और सीपीसीबी की वेबसाइट दोनों पर प्रसारित हो |

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