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एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी

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एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी :- देश में सिर्फ कोरोना का संकट नहीं है बल्कि लॉकडाउन के चलते बहुत से लोगों का व्यापार ठप हो गया है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले से लेकर रोजाना कमाने वालों की स्थिति लॉकडाउन के चलते खराब हो गई है। इनमें सेक्स वर्क्स भी शामिल हैं जिनके काम रुकने के कारण भुखमरी के हालात हो गए हैं।

कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई जिसके बाद इनके पास एक भी ग्राहक नहीं पहुंच रहे। ऐसे में इनकी आमदनी बिल्कुल रुक गई है एक एक दिन काटना पहाड़ हो गया है।

एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी

राजस्थान के अजमेर जिले की एक सेक्सवर्कर नमिता (बदला नाम) अपने परेशानी की बात बताती हैं। नमिता कहती है- हमारा पेशा ऐसा है जिसमें रोज कमाने खाने की स्थिति होती है। घर में किसी को नहीं पता की हम सेक्स वर्कर हैं।

सबको ये ही लगता है की हम कमाने के लिए ऑफिस में काम करने जाते हैं। जब सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी तो घर पर सबको लगने लगा की हम काम पर नहीं जाएंगे तो भी हमें पैसे मिलेंगे।

सैलरी के इंतजार में हैं सेक्सवर्कर के बच्चे

एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी

हमारे बच्चे भी परेशान है। रोज पूछते हैं की आपकी सैलरी कब आएगी? क्या जवाब दूं उन्हें कि तुम्हारी मां एक सेक्सवर्कर है? मेरी मजबूरी थी इस पेशे में आना। क्या खिलाती बच्चों को? पति शराबी है और घर के खर्चों से उसे कोई मतलब नहीं। घर का खर्च चलाने के लिए मुझे ये काम करना पड़ता है। लॉकडाउन के चलते ये काम भी बंद हो गया है और पैसे भी नहीं आ रहे।

इस वायरस का डर है

नमिता अपने धंधे के बारे में बताते हुए कहती हैं की लोगों के अंदर इस वायरस का डर है, मुझे नहीं लगता की 6-7 महीने तक कोई भी हमारे पास आएगा। ये डर तो अब हमारे लिए भी है की जो व्यक्ति हमारे पास आएगा, पता नहीं वो कहां का है।

ये परेशानी सिर्फ नमिता की नहीं है बल्कि उसकी जैसी और कितनी ही सेक्स वर्कर हैं जो इन दिनों अपना खर्चा ना चला पाने के चलते परेशान हैं। नमिता की तरह ही इस पेशे से जुड़ी लाखों सेक्स वर्कर्स की ये ही समस्या है। ऊपर से लॉकडाउन बढ़ने के संकेतों ने इनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है।

लॉकडाउन ने पैदा कर दिए भुखमरी के हालात

सेक्सवर्कर

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में 30 लाख सेक्स वर्कर्स हैं जिनमें से नमिता एक है। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 2 करोड़ सेक्सवर्कर है, जो इस पेशे से जुड़ी हुई हैं।

दिल्ली की एक सेक्सवर्कर का कहना है की जल्दी ये लॉक डाउन नहीं खुला तो हमारे परिवार को भुखमरी झेलनी पड़ेगी। सरकार ने रातों रात लॉकडाउन कर दिया। हमें इतना भी समय नहीं मिला की हम आने वाले दिनों की तैयारी कर सकें।

सेक्सवर्कर्स देश की एक वो बड़ी आबादी है जो देश में मौजूद होने के बाद भी सरकार की मदद की तमाम योजनाओं में शामिल नहीं हैं। हजारों सेक्स वर्कर्स को सरकारी राशन इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि इनके पास राशन कार्ड नहीं हैं।

इनके कमाने का जरिया ऐसा है जो इस लॉकडाउन की स्थिति में बिल्कुल भी संभव नहीं हैं। इन गलियों में काम करने वाली कितनी ही सेक्स वर्कर्स एचआईवी पॉजिटिव भी हैं और दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं पर इनके पास अस्पताल जाने तक के पैसे नहीं रह गए है।

कर्नाटक के कोलार जिले में रहने वाली सेक्स वर्कर भी इसी दुख से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि हम जिस एरिया में रहते हैं वहां 3 हजार सेक्स वर्कर रहती है जिसमें 80 प्रतिशत स्ट्रीट बेस्ड हैं और होम बेस्ड केवल 20 प्रतिशत हैं।

लॉकडाउन मे सबसे ज्यादा नुकसान स्ट्रीट बेस्ड वर्कर को हुआ है। इनके लिए एक समय के खाने की व्यवस्था करना भी बहुत मुश्किल हो गया है। सरकार इन पर कोई ध्यान नहीं दे रही।

बहुत चर्चित हैं ये रेड लाइट एरिया

देश में बहुत से रेड लाइट एरिया हैं जो हमेशा चर्चा रहते हैं। एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया सोनागाछी को माना जाता है। ये कोलकाता का बहुत ही चर्चित एरिया है। यहां कम से कम तीन लाख महिलाएं इस धंधे से जुड़ी हैं।

दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है जहां पर दो लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। इसके बाद दिल्ली का जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवार पेठ भी काफी चर्चित है।

एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी

ये सेक्सवर्कर सिर्फ देश के बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं। छोटे शहरों में वाराणसी का मडुआडिया, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुर्ज स्थान, आंध्र पद्रेश के पेड्डापुरम व गुडविडा, सहारनपुर का नक्काफसा बाजार, इलाहाबाद का मीरगंज, नागपुर का गंगा जमुनी और मेरठ का कबाड़ी बाजार इन सेक्स वर्करों के एरिया के लिए जाना जाता है।

यहां रहने वाली कुछ सेक्सवर्कर दूसरे शहरों में पलायन कर चुकी हैं तो कुछ इन्हीं बंद गलियों में पड़े अपना दिन बिता रही हैं। इनके पास ना तो रहने का सही इंतजाम है औऱ ना ही खाने पीने का सामान मौजूद है।

सेक्सवर्कर को नहीं मिलता कोई सरकारी लाभ

ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन से जुड़ी रहने वाली कुसुम सेक्स वर्करों के हक और अधिकारों को लिए काम करती है। कुसुम बताती हैं की होम बेस्ड सेक्स वर्कर्स को बहुत परेशानिया हैं।

जीबी रोड पर कुछ सेक्स वर्कर के पास स्वयं सेवी संस्थाएं पहुंचकर मदद भी कर रही हैं, लेकिन इन सेक्स वर्कर के बारे में तो कोई कुछ जानता भी नहीं है। इनकी तो गिनती करना भी मुश्किल है। अगर सिर्फ एक कॉलोनी की बात करें तो लगभग 500 महिलाएं होम बेस्ड सेक्स वर्कर्स हैं।

एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी

सेक्सवर्कर का कारोबार भी तीन हिस्सों में बंटा है। पहला है ब्रोथल, दूसरा होम बेस्ड जहां महिलाएं घर पर ही अपने ग्राहक खुद तय करती हैं। तीसरा है स्ट्रीट बेस्ड और ब्रोकर बेस्ड- यानी की वो जो दलालों के सहारे काम करती हैं।

कुसुम ने बताया कि ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन इन्हीं सेक्स वर्कर की आवाज उठाता है। कुसुम ने बताया की हमारा संगठन जितना हो सकता है उतना राशन इन सेक्स वर्करों तक पहुंचा रहा है, लेकिन ये राशन भी कितने दिन तक चलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ सेक्स वर्कर किराए के कमरों में रहती हैं। उनके लिए किराया देना भी मुश्किल हो रहा है।

कुसुम जिस संगठन से जुड़ी है उसें देशभर की लगभग पांच लाख सेक्स वर्कर जुड़ी हैं। ये संगठन 16 राज्यों में काम करता है इस संगठन में कई राज्यों से 108 कम्यूनिटी बेस्ड संगठन जुड़े हैं।

इस संगठन की संयुक्त सचिव सुल्ताना बेगम राजस्थान के अजमेर जिले में 580 रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर के लिए आवाज उठाती हैं। उनका कहना है कि जितनी भी महिलाएं इस पेशे से जुड़ी है उनमें 60-70 प्रतिशत लोगों के परिवार को पता ही नहीं है कि वो क्या काम करती हैं।

परिवारों को बस इतना पता है की वो जहां काम करती हैं उन्हें वहां पैसा तो मिलेगा ही। इस समय इनकी परेशानी बढ़ गई है क्योंकि खर्चा चलाने का और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

आगे के महीनों में और बिगड़ सकते हैं हालात

आगे सुल्ताना कहती हैं कि इन सेक्सवर्करों को लोग बहुत अमीर समझते हैं, पर उनकी तकलीफ बस वहीं जान सकती है। इनके काम को काम का दर्जा नहीं मिला इसलिए सरकार की किसी योजना का फायदा भी इन्हें नहीं मिलता। लॉकडाउन में हमारी सरकार से गुजारिश है की इनकी सरकार जल्द से जल्द मदद करे वरना इनका परिवार भूखा मर जाएगा।

एक वैश्या ने बताई आपबीती, लॉकडाउन की वजह से इस तरह से बीत रही है सेक्सवर्कर की ज़िन्दगी

ऑल इंडिया नेटवर्क सेक्स वर्कर संगठन के को ऑर्डिनेट अमित कुमार बताते हैं कि देश में कोरोना जब शुरु हुआ तो जीबी रोड दिल्ली में रहने वाली करीब 60 फिसदी सेक्स वर्कर्स अपने घर जा चुकी थीं।

अब वहां 40 फिसदी औरतें ही बची हैं। जिनकी कोठा मालकिन खाने का इंतजाम तो कर रही है, लेकिन किराए में कोई छूट नहीं दी है। अभी ये महिलाएं दोगुने कीमत पर ब्याज लेकर अपना काम चला रही हैं।

अमित ने लॉकडाउन हटने के 5-6 महीने के बाद की स्थिति का भी अनुमान लगा लिया है। उनका मानना है की जब सामान्य होने के बाद भी उनके किराए, राशन और पलायन की समस्या बनी रहेगी।

जो घर जा चुकी हैं वो कोरोना के डर से वापस नहीं आने वाली। जो यहां रह गईं हैं उन्हें जल्दी ग्राहक नहीं मिलेंगे। लॉकडाउन के चलते इनकी स्थिति बहुत खराब हो गई है और इनका पेट भरने वाला भी कोई नहीं है।

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