बेरोजगारी की मार झेल रहे कर्मचारियों को अब 3 नहीं 6 महीने तक मिलेगा वेतन का 50 फ़ीसदी भत्ता

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बेरोजगारी की मार झेल रहे कर्मचारियों को अब 3 नहीं 6 महीने तक मिलेगा वेतन का 50 फ़ीसदी भत्ता।
बेरोजगारों को राहत देने के उद्देश्य से केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने नया प्रस्ताव पारित किया है। इस नए प्रस्ताव के जरिए ईएसआईसी से जुड़े कर्मचारियों को बेरोजगारी होने की सूची में 6 महीने तक आखिरी सैलरी के 50 फ़ीसदी के बराबर तक भत्ता दिया जाएगा।

आपको बताते चलें कि फिलहाल अभी तक बेरोजगारी की सूची में आखिरी सैलरी के 25 फ़ीसदी तक ही बता दिया जाता था, इसके अलावा भत्ते की अवधि महज 3 महीने तक की थी, जिसे अब 6 महीने तक कर दिया गया है।

20 अगस्त को कर्मचारी राज्य बीमा निगम के सदस्यों की मीटिंग में इस प्रस्ताव को पेश किया गया था। अभी इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है, जैसे ही इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो फिर ईएसआईसी के 3. 2 करोड़ इस स्कीम सब्सक्राइबर को फायदा मिल सकेगा।

जानकारी के मुताबिक पीएमओ की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया था। उन्होंने बताया कि इसके पीछे का कारण यह है कि कोरोना महामारी के चलते बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां जाने के चलते सरकार उन्हे रियायत देना चाहती हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को लाभ मिल सके।

वहीं अमेरिका कनाडा जैसे देशों में मिल रहे रोजगारी अनाउंस की तर्ज पर सरकारी स्कीम के जरिए नौकरी गंवाने वाले लाखों लोगों को लाभ पहुंचाना चाहती हैं। एक अधिकारी ने बताया कि बीते सप्ताह इस प्रस्ताव को पीएमओ के समक्ष पेश किया गया थ जिसे ईएसआईसी की मीटिंग में मंजूरी के लिए रखा गया

सरकार ने यह भी माना है कि कोरोना वायरस के चलते बड़े पैमाने पर लघु एवं मध्यम उद्योगों के कर्मचारियों को नौकरी गंवानी पड़ी है। सीएमआईई के डाटा के मुताबिक अप्रैल में पूरे महीने लॉकडाउन और इसके चलते 121 मिलन यानी 12.1 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है, हालांकि मई और जून में इसकी रिकवरी शुरू हुई। अब तक नौ करोड़ लोगों को रोजगार वापस मिली। फिर भी तीन करोड़ लोग अब भी बेरोजगारी की मार झेल रहे जिनके पास कोई ना कोई काम था।

अगर इसके साथ मंजूरी मिल जाती है तो बाकी कर्मचारियों के लिए यह खुशनुमा पल होगा जहां उन्हें समय अवधि और भर्ती में डबल फायदा मिलेगा। गौरतलब कोरोना वायरस के कारण लागू हुए लोगों में अधिकांश औद्योगिक उद्योगों द्वारा बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को काम ना होने का हवाला देते हुए कंपनी निष्कासित भी कर दिया था। ऐसे में उक्त कर्मचारियों के सामने आजीविका और रोजी-रोटी के लाले पड़ने शुरू हो गए थे।