नमस्कार! मैं फरीदाबाद। आज मैं बहुत खुश हूँ, मैंने एक नया तमगा जो हासिल किया है। क्या? आप लोग नहीं जानते कि मैं किस विषय के बारे में बात कर रहा हूँ ? अरे भई आपका अपना फरीदाबाद यानी की मैं भारत के शीर्ष 10 गंदगी से लबालब शहरों में शुमार हूँ। आज तक मुझे किसी भी प्रत्योगिता या सरकारी समारोह में सम्मानित नहीं किया गया। वो तो भला हो स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के परिणाम का जिसने मुझे यह पायदान दिलवाया।
गंदगी से भरपूर शहरों में से एक मैं हूँ जिसके लिए मेरी आवाम और मेरे निज़ाम ने मेरी भरपूर मदद की है। कूड़ा कैसे फैलाना है, प्रदूषण कैसे बड़ाना है, कैसे सड़कों पर गंध मचाना है इसकी मिसाल हम सबने साथ मिलकर स्थापित की है।
जब भी सड़क के किनारे लगा कूड़े का अम्बार देखता हूँ तब आप सब पर गर्व महसूस होता है। जब बारिश के पानी में वो कूड़ा तैरने लगता है तब एक अलग सुख की अनुभूति होती है। गड्ढों में भरता पानी और फिर उसमे फिसलकर गिरने की कहानी, इन्ही कुछ कारणों से तो मैं मशहूर हुआ हूँ। हाँ मैं चाहता था कि मैं भी इंदौर की तरह साफ़ सफाई की दौड़ का हिस्सा बनु पर स्वच्छता और मेरा दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं। मेरे इस कथन पर अगर विश्वास न हो तो एक बार आप बाइपास रोड़ का चक्कर मार कर आइये आपको भी आनंद की प्राप्ति होगी।
क्या हुआ ? आपको मेरी बातें अजीब लग रही हैं ? मुझे भी अजीब लगता है जब आप अपने अपने घरों का कूड़ा मेरी गलियों में फैलाते हैं। बुरा लगता है जब सुलभ शौचालय की सुविधा होने बावजूद आप लोग स्टेशन की दीवारें गंदी करते हैं। जब बड़े-बड़े नेता, राजनेता मेरी टूटी हुई सड़कों पर से गुज़रते हैं तब रोष आता है उनपर और उनके झूठे वादों पर। मन करता हैं उन्हें वहीं रोक लूँ और दिखाऊं कि मैं किस हाल में हूँ। मेरे लिए यह 10वा पायदान अभिशाप नहीं ये तमाचा है तुम सबके मुँह पर। जब तुम मुझे कोसते हो तब ये भी सोचना की असल में मेरी इस हालत का जिम्मेदार कौन है ?