नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद और आज मैं अपने मित्र एनआईटी को शुभकामनाएं देने के लिए हाज़िर हुआ हूँ। एनआईटी ने प्रदूषण के मामले में मेरे सभी क्षेत्रों को पीछे छोड़ दिया है। यही तो खासियत है एनआईटी की कूड़ा, कचरा और गंदगी।
कूड़े की सोंधी-सोंधी महक और गाड़ियों में से निकलते धुंए ने एनआईटी को प्रदूषण की फेहरिस्त में सबसे ऊपर लाकर रख दिया है। मंत्रालय वालों को डर लग रहा है ये सोच कर कि कुछ समय में एनआईटी प्रदूषण का हॉटस्पॉट न बन जाए।
पर मैं जानता हूँ उसे इस गंदगी और कूड़े को झेलने की आदत जो हो गई है। यह उसके लिए कोई नई बात नहीं। गंदगी के साथ मेरा और एनआईटी का नाता काफी पुराना रहा है। हाँ-हाँ पता हैं मुझे लॉकडाउन में प्रदूषण का दर कम हुआ है पर यह एनआईटी पर लागू नहीं होता।
यहां पर दिन रात प्रदूषण का स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है। कारण? आप लोग कारण पूछ रहे हो। अरे आप लोग ही तो कारण हो। यह गंदगी, कूड़ा, कचरा और प्रदूषण यह सब आपकी ही देन है। कभी सोचा है अपने घरों से निकलने वाले कूड़े को बगल वाले पार्क में फेंकने से पहले।
जिन प्लास्टिक के थैलों मे आप अंडे के छिलके और सड़ी सब्ज़ियां सड़क के किनारे फेंक जाते है वो है बढ़ते प्रदूषण का कारण। एनआईटी में बड़ी बड़ी दुकाने में से जो गंध निकलता है वो है बढ़ते प्रदूषण का कारण। हर बड़े उद्योगपति ने एनआईटी का शोषण किया है।
सबने बड़ी बड़ी इमारतें और दफ्तर बनाकर मेरी देहलीज को गन्दा किया है। जानता हूँ मैं कि आप सब अब सरकार को दोष दोगे पर ये बात आप भी समझिये कि गंदगी सरकार नहीं फैलाती। गंदगी आप फैलाते हैं, प्रदूषण का कारण भी आप की ही गाड़ियां हैं।
मैं तो बेज़ुबान हूँ बस आप से अनुरोध कर सकता हूँ कि बस अब और नहीं हमे संभालना होगा। जब तक आप नहीं संभालेंगे तब तक मेरा इसी तरह शोषण होता रहेगा।