इंजीनियर पति ने कहा नही कटवाऊंगा चोटी, तलाक देना है देदो, पत्नी ने दे दिया तलाक :- पति ने नहीं कटवाई चोटी तो पत्नि ने दे दिया तलाक, अब आप सोच रहे होंगे कि क्या कभी ऐसा भी हो सकता है, जी हां ऐसा हो सकता है नहीं, बल्कि हुआ है, तभी आप इस खबर को पढ़ रहे हैं।
हमारे देश में कभी-कभी तो लगता है कि बड़े ही अजीब से किस्से पैदा हो जाते हैं। पता नहीं लोग कैसे समझदारी नहीं दिखा पाते। छोटी-छोटी सी बातों से घर के घर टूट जाते हैं, रिश्ते बिखर जाते हैं।
वैसे तो पति-पत्नि का रिश्ता बेहद मजबूत, पाक-पवित्र माना जाता है। इसे इतना कमज़ोर नहीं माना जाता और नाहीं ये इतना कमज़ोर होता है। लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
दरअसल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पति-पत्नी के बीच चोटी काटने की बात तलाक तक पहुंच गई है। वास्तव में, पति ने अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद चोटी रखने की कसम खाई थी कि वह अपनी मृत्यु तक चोटी नहीं काटेगा।
व्यक्ति ब्राह्मण परिवार से है। दो साल पहले एक सड़क दुर्घटना में उसके माता-पिता की मौत हो गई थी। मृत्यु के अनुष्ठान के दौरान व्यक्ति का मुंडन किया गया था।
इसमें, धार्मिक मान्यता के अनुसार, पति ने चोटी रखी। कुछ दिनों के बाद सब कुछ पहले जैसा हो गया लेकिन पति ने चोटी नहीं काटी। पत्नी ने अब पति पर चोटी काटने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। अरोरा कॉलोनी निवासी की पत्नी ने फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की।
इस मामले में पत्नी का कहना है कि पति चोटी होने के कारण चरवाहे की तरह दिखता है। जिससे उसके पति का मजाक उड़ता है, जिससे वह बहुत अपमानित होती है। जबकि पति एक कार्यकारी इंजीनियर है और पत्नी MBA पास है। काउंसलर सरिता राजानी ने बताया कि महिला की 2 फरवरी 2016 को शादी हुई थी।
महिला ने काउंसलर से कहा कि अगर वह अपने पति से चोटी काटने के लिए कहती है, तो वह मामले को टाल देता है। पति जोर देकर कहता है कि वह अपनी चोटी कभी नहीं काटेगा। वहीं, पति का कहना है कि पत्नी के पास सारी खुशियां हैं लेकिन वह अपनी चोटी के पीछे लेटी हुई है।
पत्नी छह माह से मायके में है। पत्नी का आग्रह है कि या तो काट लो या तलाक दे दो। तो इस तरह की ज़िद की खबर भी अपने आप में बिल्कुल अलग सी होती हैं,
शिखा(चोटी) रखने का महत्व
सुश्रुत संहिता में लिखा है कि मस्तक के भीतर ऊपर जहां बालों का आवृत (भंवर) होता है, वहां सम्पूर्ण नाडिय़ों व संधियों का मेल है, उसे ‘अधिपतिमर्म’ कहा जाता है। यहां पर चोट लगने से तत्काल मृत्यु हो जाती है। सुषुम्ना के मूल स्थान को ‘मस्तुलिंग’ कहते हैं।
मस्तिष्क के साथ ज्ञानेन्द्रियों-कान, नाक, जीभ, आंख आदि का संबंध है और कर्मेन्द्रियों-हाथ, पैर, गुदा, इंद्रिय आदि का संबंध मस्तुलिंगंग से है। मस्तिष्क मस्तुलिंगंग जितने सामर्थ्यवान होते हैं, उतनी ही ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है। मस्तिष्क ठंडक चाहता है औमस्तुलिंगंग गर्मी।
मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाने के लिए क्षौर कर्म करवाना औमस्तुलिंगंग को गर्मी पहुंचाने के लिए गोखुर के परिणाम के बाल रखना आवश्यक है। बाल कुचालक हैं, अत: चोटी के लम्बे बाल बाहर की अनावश्यक गर्मी या ठंडक समस्तुलिंगंग की रक्षा करते हैं।’
अब इस खबर को पढ़ने के बाद मन में ये सवाल उठता है कि पति-पत्नि का भरोसे वाला रिश्ता आखिर इतना कमज़ोर कैसे पड़ सकता है। दोनों को आपसी सामंजस्य से मामले को निपटाना चाहिए।
पत्नि को पति के प्रण का सम्मान करना चाहिए तो पति को पत्नि की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। अब ऐसे में सभी बड़ों की सलाह से दोनों को कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए ताकि समस्या का समाधान निकल सके और सब-कुछ ठीक हो सके।