मार्च में लगे लॉकडाउन से मेट्रो की आवाजाही पर विराम लग गया था। बीते सप्ताह मेट्रो परिचालन शुरू हो चुका है। ऐसे में रोजगार भी धीरे धीरे पटरी पर आ चुका है। मेट्रो के बंद होने से जिस व्यवसाय को सबसे ज्यादा नुक्सान झेलना पड़ा वह ऑटो चालकों का था।
कोरोना काल से पहले जिस तरीके से ऑटो चालकों को सवारियां मिला करती थी वह दौर अब खत्म हो चुका था। पर जैसे ही मेट्रो को पटरी पर उतारा गया दोबारा से सवारियों का तांता लग चुका है। धीरे धीरे जन जीवन सामान्य हो रहा है।
अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद ऑटो चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ था। चालकों का कहना था कि महामारी के इस दौर में लोग अपने माध्यम से ही सफर करना मुनासिब समझ रहे हैं। ऐसे में मेट्रो के बंद होने से चालकों को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ रहा था।
बता दें कि मेट्रो में सफर करने वाले अमूमन सभी यात्री स्टेशन तक पहुंचने के लिए ऑटो का ही प्रयोग किया करते हैं। ऐसे में मेट्रो का बंद होना इन सभी ऑटो चालकों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा था। इससे इन सभी चालकों की आय पर बुरा असर पड़ा।
जन जीवन पटरी पर पहुँचने के बाद अब सभी ऑटो चालक इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही उनकी आय में इजाफा होगा। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से मेट्रो अपने पुराने समय पर दौड़ रही है। सामान्य समय पर रेल चलने के बाद मेट्रो यात्रियों की संख्या में भी इजाफा हो चुका है। ऐसे में सभी ऑटो चालकों को उम्मीद है कि जल्द ही वह भी अपने रोजगार को बड़ा पाएंगे।
बात की जाए इस समय की तो फिलहाल सवारियां ऑटो में बैठने से बच रही हैं। पर ऑटो चालक उम्मीद बांधे बैठे हैं कि जल्द से जल्द उनका रोजगार तेज़ी से दौड़ेगा। कोरोना काल से पहले जिस तरीके से व्यवसाय चला करता था, सभी ऑटो चालक इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा।