पंचकूला के गांव मोरनी के बच्चे पढ़ने के लिए ले रहे है पेड़ का सहारा यह बच्चे कितनी तन्मययता से अपनी पढाई को पूरा कर रहे है यह इस लेख के जरिये हमने बताने की कोशिश की है
कहा जाता है की आज देश चाँद पर पहुंच गया है देश तकनीकी के मामले में भी बहुत आगे निकल गया है और यह ज़माना 4जी का है यानी की हर किसी के हाथ में मोबाइल और उसमे 4 जी डाटा जरूर मिलता है
वैसे महामारी के कारण स्कूली शिक्षा में बदलाब आये है स्टूडेंट्स की पढाई का नुकसान नहीं हो उसके लिए बच्चो को ऑनलाइन पढाई का प्रावधान सभी स्कूल में किया जा रहा है। .
लेकिन अभी भी कुछ ऐसे गांव है जो ऑनलाइन स्टडी से भी वंचित रह रहे है या फिर मुश्किलों के साथ पढ़ा जा रहा है। पंचकूला के मोरनी क्षेत्र ने कुछ ऐसे गांव है जहा मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुँचता। हालाँकि यह बच्चे ऊँचे पहाड़ की चोटियों या फिर पेड पर चढ़ कर पढ़ाई करते है
यह गांव कोई किसी पिछड़े इलाके का नहीं बल्कि हरियाणा की राजधानी चण्डीग़ढ़ के पास के पंचकूला में ही है अब सोचिये की जहा से सरकार बैठकर पुरे देश की व्यवस्था को सँभालती है। अगर यह हाल है कि अगर व्यवस्था करने के वालो के क्षेत्र में यही हाल है
दरअसल यहां मोबाइल के जरिये ऑनलाइन स्टडी करने वाले स्ट्डेंस्ट एक विशेष क्षेत्र में इकठ्ठे होते है। जमींन पर नेटवर्क की समस्या होती है इस कारण किसी युवक या छात्र को पहले एक ऊँचे पेड़ की टहनी पर चढ़ता है
वहां पर पहुंचकर वह मोबाइल नेटवर्क के लिए हाथ को ऊपर उठता है और फिर जैसे नेटवर्क मिलता है व्हाट्सप्प पर जैसे ही उनके असाइनमेंट आता है फिर वो निचे उतरता है और फिर इसे बच्चे शेयर करते है बाद में इसके तरह ही होमवर्क सेंड किया जाता है
ग्रामीणों का कहना है की यह सिलसिला लम्बे समय तक चला आ रहा है वर्षो बाद भी मोबाइल नेटवर्क मोरनी में नहीं पहुचा है। मोरनी के गांव दापना के युवको ने बताया की पेड़ के निचे बैठकर अलग अलग क्लास के स्टडेंट वहां बैठते है और एक बच्चा पेड पर चढ़ कर उनको होमवर्क सुनाता है