नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद आज मैं एक माँ का दर्द और एक बाप की गुहार सुनाने आया हूँ। एक बाप जिसकी बेटी महज 7 साल की उम्र में मौत का झूला झूल रही है। एक माँ जो अब अपनी लाली के बाल नहीं सवार पाएगी, उसे अपने हाथ से खाना नहीं खिला पाएगी कौन समझेगा उस माँ के दुःख को?
आज मैं स्तब्ध हूँ क्यूंकि मेरे प्रांगण में एक जघन्य अपराध हुआ है। 7 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया है। जानते हैं उस लड़की की माँ के गले से पानी नहीं उतर रहा। उसके पिता की आँखे सूख गई हैं और अब वह बात करने की हालत में नहीं हैं।
उनके जिगर के टुकड़े को किसी ने तार तार कर दिया है। 7 साल की बच्ची जिसका तोतलापन भी खत्म नहीं हुआ उसके साथ किसी की क्या दुश्मनी रही होगी? आपको बता दूँ कि उस मासूम के साथ जिसने अपराध किया है वो उसका पड़ोसी है।
वही पड़ोसी जिसको वह चाचा बुलाती थी। वही पड़ोसी जो पूर्णतः बालिक है जिसकी उम्र 23 साल है। अब वह साथ साल की बच्ची मौत के साथ जंग लड़ रही है और उसका भविष्य धूमिल हो चुका है। जानते हैं अब क्या होगा?
अब बस प्रदर्शन होंगे, मोमबत्तियां जलाई जाएंगी और पुतले फूंके जाएंगे। तमाम सरकारें आई और गई पर रेप और महिला प्रताड़ना के खिलाफ विरोध दायर करने का तरीका नहीं बदला।
जानते हैं यह जवाबदेही सरकार की नहीं है।
जवाब तो जनता को देना है, जवाब देना है उन लोगों को जिनकी मानसिकता कीचड़ से लिपटी हुई है। कभी सोचा है कि कैसा लगता है उस लड़की को जब हवस से भरी गंदी निगाहें उसके देह को निहारती है? उसकी रूह काँप जाती है और दिमाग सुन्न हो जाता है। उसे डर लगता है इस समाज से और इस समाज में रहने वाले सभी कामगारों से। इस समाज को बदलना होगा, बदलाव जरूरी है।