फुटपाथ पर चले और गटर में लटके, फरीदाबाद के विकास को लग रहे हैं झटके

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स्मार्ट सिटी का तमगा लिए शहर फरीदाबाद के हालत इन दिनों बुरे चल रहे हैं। जिस विकास की उम्मीद से उद्योगिक नगरी ने अपनी आँखे भर रखी हैं वह उम्मीदें अब टूटती हुई नजर आ रहीं हैं। कहा जाता है कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं पड़ती पर फरीदाबाद के विकास दर्शाने के किए साक्ष्य का होना अनिवार्य है।

शहर की आवाजही में प्रखर रूप से मशगूल रहने वाली मथुरा रोड का नजरा देखते बनता है। जहां सड़क पर वाहन तेज गति से आगे बढ़ते हैं वहीं दूसरी ओर सड़क के किनारों पर गंदगी और जर्जता ने अपने पैर पसार रखे हैं।

फुटपाथ पर चले और गटर में लटके, फरीदाबाद के विकास को लग रहे हैं झटके

आपको बता दें कि सड़क के किनारे जो नाले बने हुए थे उन्हें फुटपाथ में तब्दील कर दिया गया था। नालों के ऊपर बड़ी बड़ी पत्थर की सीलियों को लगाया गया था। इन सीलियों को इस तरह से बनाया गया था जिससे कि वह सड़क किनारे नालों को ढकने के बाद वह एक फुटपाथ के रूप में नजर आए।

फुटपाथ पर चले और गटर में लटके, फरीदाबाद के विकास को लग रहे हैं झटके

इससे न सिर्फ गंदगी पर विराम लगता परंतु व्यस्त सड़क पर आवाजाही से बचने के लिए पैदल व साइकिल से चलने वाले यात्रियों को भी फायदा होता। परंतु इस समय पर यह फुटपाथ टूट चुके हैं और जिन पत्थर की सीलियों के प्रयोग से नालों को ढाका गया था वह सीलियाँ भी अब जर्जर हालत में नजर आ रही हैं।

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सड़क किनारे बनाए गए इस फुटपाथ से आधे ढक्कन हेट हुए हैं और ऐसे में लोगों के नालों में गिरने की भी संभावना बनी रहती है। बारिश के समय पर हालत और भी बुरे हो जाते हैं। जो गन्दा पानी सड़क किनारे बने नालों में फंसा रहता है फिर वो बारिश के पानी के साथ मिल जाता है जिससे वाहनों और लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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आपको बता दूँ कि इन सीलियों से लोहे के सरिये भी बाहर निकल रहे हैं जो आम जनता के लिए बर्बादी का सबब बन सकते हैं। स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा निकाली गई घोषणा में शहर के विकास की बात कही गई थी परन्तु अभी तक इस विषय पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। किसी बड़ी घटना के घटित होने से पहले ही प्रशासन को जीर्णोधार करा लेना चाहिए।