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एक साथ दिवाली मनाता था उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का परिवार, क्या हुआ ऐसा जो आ गई रिश्तों में खटास

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मैं राजनीती करने नहीं, राजनीती बदलने आया हूँ! मैं हरियाणा की राजनीती को बदल कर ही दम लूंगा! इसके लिए चाहे मुझे अपनों से क्यों ना टकराना पड़े यह शब्द हैं हरियाणा की राजनीति का तख्तापलट करने वाले कद्दावर नेता दुष्यंत चौटाला के। जिन्होंने हरियाणा में राजनीति की सूरत को बदल रख दिया। उनके बारे में और जाने के लिए इतिहास में जाना ज़रूरी है।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोक दल के नेता ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं, अजय चौटाला और अभय चौटाला। दोनों ही भाइयों के बीच राजपाठ को लेकर हमेशा से ही स्पर्धा चलती आई है। 3 अप्रैल 1988 में अजय चौटाला और नैना चौटाला को पुत्र प्राप्ति हुई। सबसे बड़े पोते दुष्यंत के जन्म से ओमप्रकाश चौटाला बहुत खुश थे। दुष्यंत को हमेशा से ही दादा का चाहता माना जाता था। उन्होंने हिसार के सेंट मैरी स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की।

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दुष्यंत को हमेशा से ही खेल कूद का शॉक था। उन्होंने बॉक्सिंग में कई गोल्ड मेडल्स भी जीते है और साथ ही साथ वह हॉकी टीम के गोलकीपर भी रहे हैं। स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद दुष्यंत को उच्च शिक्षा ग्रहण करने अमेरिका भेजा गया जहाँ उन्होंने बैचलर्स इन साइंस की पढ़ाई की और वापस वतन लौट आए।

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27 जनवरी 2013 के दिन दुष्यंत को वापस अमेरिका लौटना था वो वहीं पर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के मन बना चुके थे पर 16 जनवरी 2013 के दिन ने उनकी ज़िंदगी बदल कर रख दी। 16 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री और दुष्यंत के दादा ओपी चौटाला को जीबीटी घोटाले का कसूरवार ठहराते हुए सलाखों के पीछे दाल दिया गया। दुष्यंत इस पूरी घटना से दुखी हो गए और फिर दादा का मान और प्रतिष्ठा बचाने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया।

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2014 के लोकसभा चुनाव में वह हिसार क्षेत्र से मैदान में उतरे और फ़तेह हासिल की। उन्हें हिसार से सांसद चुना गया और इसी के साथ उन्होंने सबसे काम उम्र में संसद पहुंचने वाले नेता के रूप में रिकॉर्ड स्थापित किया। कुछ समय बाद उन्होंने आईपीएस परमजीत एहलावत की बेटी मेघना एहलावत से शादी करली। दुष्यंत अब एक प्रखर नेता के रूप में उभर रहे थे। विपक्ष दाल के साथ साथ वह अब अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की आँखों में भी खटकने लगे। उनके चाचा अभय चौटाला के साथ रिश्ते बिगड़ने लगे थे।

7 अक्टूबर 2018 भारत के पूर्व उप्रधानमंत्री और ओमप्रकाश चौटाला के मरहूम पिता देवीलाल चौटाला के सम्मान में एक रैली का आयोजन किया गया। रैली का नाम था सद्भावना सम्मान रैली जिसने चौटाला खानदान की सद्भावना को भस्मीभूत कर दिया। रैली में दुष्यंत ट्रेक्टर पर सवार होकर आए। उनके कार्यक्रम में पहुंचते ही उनके समर्थको ने दुष्यंत नाम का जयघोष शुरू करदिया।

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दुष्यंत की स्पीच के दौरान सबने उन्हें शांति से सुना और फिर बारी आई ओमप्रकाश चौटाला के बेटे और दुष्यंत के चाचा अभय चौटाला की। जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया जनता ने दुष्यंत के लिए नारे लगाना शुरू कर दिया। हमारा सीएम कैसा हो दुष्यंत चौटाला जैसा हो। यह सब देख मंच पर मौजूद ओपी चौटाला ने हाथ से इशारा कर दुष्यंत को अपने पास बुलाया और उन्हें वहीं सबके आगे फटकार लगादी। अपनी स्पीच के दौरान ओमप्रकाश चौटाला ने कहा की ” केवल नारे से काम नहीं चलता। अगर नारे से काम चलता तो मैं एकला ही चला लेता।

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ये जो फ़र्ज़ी ताली पटका करते हैं, नारे लगाते हैं ये माहौल बिगाड़ने का काम करते हैं। या तो वो सुधर जाएँ अन्यथा मान के चलो की चुनाव से पहले इस प्रकार के लोगों को निकाल दिया जाएगा। ” कहा जाता इस पूरी रैली का आयोजन दुष्यंत के छोटे भाई दिगविजय ने करवाया था। उन्ही के कहने पर सबने दुष्यंत नाम का जयघोष किया। इस पूरी घटना से अभय चौटाला रुष्ट हो गए और दुष्यंत, दिगविजय को हुड़दंग बाज़ी के इलज़ाम में इनलडी से बहार करवा दिया।

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पार्टी से अलग होने के बाद दुष्यंत टूट चुके थे पर उन्होंने खुद पर आई आपदा को अवसर में बदल दिया। वह समझ गए थे कि यही समय है जब वह जनता के दिल में घर कर सकते हैं। उन्होंने लोगों के बीच जाकर उनकी परेशानियों का जायज़ा लेना शुरू किया और हर किसी के दिल में बस्ते चले गए। इस दौरान उन्हें नई पार्टी बनाने के लिए हर किसी ने प्रोत्साहित किया और जनता का आश्वासन पाकर वह पार्टी निर्माण में जुट गए।

9 दिसंबर 2018 जींद की पाण्डु पिंडारा रैली में दुष्यंत ने जननायक जनता पार्टी को हरी झड़ी दिखाई। इस रैली में तकरीबन 6 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए। दुष्यंत धीरे धीरे एक चर्चित नेता के रूप में उभरने लगे थे। इसका प्रमाण है दुष्यंत का 2018 में हरियाणा के सबसे चर्चित नेता सर्वे में प्रथम पायदान प्राप्त करना। पर अभी तो सिर्फ शुरुआत थी 2019 का चुनाव दुष्यंत के लिए रामबाण साबित हुआ।

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जब देश की दो प्रखर राजनैतिक पार्टियां हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरी तो किसी ने भी जेजेपी से ख़ास प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की थी। पर चुनाव परिणाम दुष्यंत के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। दोनों ही पार्टियां अपनी उम्मीदों पर खड़ी नहीं उतर पाई। हरियाणा में सरकार बनाने के लिए अब गठबंधन की ज़रुरत थी और फिर दुष्यंत ने इस पूरी राजनीति तख्ता पलट किया।

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भाजपा से हाथ मिलाकर यह शर्त राखी कि उन्हें राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद सौंपा जाए और फिर हरियाणा में गठबंधन की सरकार बनी जिसमे जेजेपी का अमूल्य योगदान रहा। दुष्यंत एक युवा नेता है और हमेशा से ही उन्होंने युवाओं की बेहतरी और उनके भविष्य की बात की है। और युवाओं को प्रेरित करते हुए वह कहते हैं कि ” जब आप पैदा हुए, तो पूरी दुनिया ने जश्न मनाया और आप रोए, ज़िंदगी में कुछ ऐसा करके जाएँ मेरे दोस्त कि पूरी दुनिया रोए और आप जश्न मनाएं “

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