आखिरकार कैसे पड़ा आम का नाम लंगड़ा, बहुत रोचक है इसके पीछे की कहानी…

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गर्मी का मौसम आते ही लोग उत्सुक हो जाते है क्योंकि उन्हें मीठे मीठे आम खाने मिलते है। आम सभी को पसंद होता है क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी आम के दीवाने होते है। आम को फलों का राजा कहा जाता है और आम की प्रजातियों में लंगड़ा आम को सर्वश्रेष्ठ करार दिया गया है। हमारे देश में 1500 किस्म के आम मिलते हैं, लेकिन इन सबमें लंगड़े आम का कोई तोड़ नहीं।

मई से अगस्त के बीच आने वाले इस आम का रंग हरा या हल्का पीला होता है। बाजार में मिलने वाले अन्य आमों की तुलना में यह अधिक मीठा और मुलायम होता है। अब बात की जाए आम का नाम आखिर लंगड़ा क्यों पड़ा।

आखिरकार कैसे पड़ा आम का नाम लंगड़ा, बहुत रोचक है इसके पीछे की कहानी…

कहते हैं 250 साल पहले बनारस के शिव मंदिर में एक लंगड़ा पुजारी था. एक दिन मंदिर में एक साधु आकर ठहरा। उसने मंदिर में आम के 2 पौधे लगाए।

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सालों बाद जब उन पर आम लगे तो लंगड़े पुजारी ने इन्‍हें भगवान शिव को अर्पित किया। दरअसल साधु ने पुजारी को आदेश दिया था कि यह आम किसी को न दिए जाएं, लेकिन काशी के राजा ने आम साधु से ले लिए।

धीरे-धीरे आम की यह प्रजाति पूरे बनारस में फैल गई और लंगड़े पुजारी के नाम पर इसका नाम लंगड़ा पड़ गया। पश्चिम एशिया, बांग्‍लादेश और ब्रिटेन में इसका एक्‍सपोर्ट भी होता है। लंगड़े आम का नाम भले ही लंगड़ा हो परंतु इसकी मिठास बिल्कुल सीधी है। ये सीधे दिल मे उतरती है।

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इस बात को वो लोग भलीभांति जानते हैं जो इसके दीवाने हैं। आपको बता दे कि आम का खयाल आते ही मुंह में पानी भरने लगता हैं। ये है ही ऐसा फल, सभी अपनी ललचाई नज़र इस पर रखते हैं। आपको बता दें कि भारत में लगभग 1500 किस्म के आमों का उत्पादन किया जाता है।

इनमे से सबसे ज़्यादा खाये जाने वाले आमों में दशहरी, हापुस, चौसा, केसर, तोतापरी, सफेदा, सिंदूरी, नीलम और लंगड़ा इत्यादि आते हैं। हर आम के नाम के पीछे उसके स्वाद और आकार की कहानी छुपी हुई होती है।