नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद और आज अपने प्यारे शहर वासियों को सलाम करने आया हूँ। चौंक क्यों रहे हैं ? आप सबको तो 21 तोपों की सलामी दी जानी चाहिए न आपको महामारी का डर है ना ही बीमार पड़ने की चिंता। अरे आपने एक कहावत तो सुनी होगी कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती। बस ऐसा ही हाल है आप सभी का।
जहां प्रशासन, चिकित्सक, समाज सेवी अपने गले फाड़ फाड़कर थक गए हैं कि सामाजिक दूरी का पालन करे। आप सभी ने तो उन नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। मैं मूक हूँ पर अँधा नहीं, मेरी नजरों के सामने मैंने हमेशा ही बिमारी से जुड़े नियमों की अवहेलना होते देखी है। हाँ हाँ मैं जानता हूँ कि आप सभी को प्रमाण चाहिए इसलिए मैं भी पूर्णतः सुसज्जित हूँ।
सबसे पहले त्योहारों को ही ध्यान में रखते हुए बात की जाएं तो भाई दूज के पर्व पर हरियाणा रोडवेज की बसों पर मचे कोहराम को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस दौरान बसों में खचाखच सवारियां भरी गईं और सामाजिक दूरी का मजाक बनाया गया।
सवारियों ने एक दुसरे के बीच से हवा गुजरने तक की भी जगह नहीं छोड़ी थी। कोई बिन मास्क था तो किसी का सैनेटाइजेशन से लेना देना नहीं था। ऐसे में बिमारी का विक्राल रूप लेना लाजमी है।
अब बात की जाएं पढ़े लिखे गवारों की तो इस क्षेत्र के वकील उस फेहरिस्त में सबसे ऊँचा पायदान प्राप्त करते हैं। कुछ दिन पूर्व शहर के कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के उनाव हुए थे।
इस दौरान कोर्ट प्रांगण के बाहर लगी भीड़ ने समाजिक दूरी को निस्तेनापूत कर दिया। कोर्ट के बाहर आए वकीलों ने न मास्क पहना था और न ही सामाजिक दूरी का पालन किया जा रहा था। वोट डालने के दौरान हर कोई एक दुसरे के उपर चढ़कर आगे बढ़ रहा था। गाली गलौच और गंदगी से सराबोर रहे चुनाव ने भी महामारी के संक्रमण को तूल दिया है।
अब बात की जाए एक और बड़े कारण की तो क्षेत्र में होने वाले धरना प्रदर्शन भी माहमारी को पनपा रहे हैं। क्षेत्र वासियतों ने बेटी के इंसाफ का चोला पहनकर बस क्लेश मचाया और हिंसा को तूल दिया। महापंचायत के दौरान जो हुआ वो किसी से छुपाया नहीं जा सकता।
अब क्षेत्र में आए दिन 500 से ज्यादा की तादाद में संक्रमित पाए जा रहे हैं। मैं पूछता हूँ कि क्या प्रशासन ही महामारी को लेकर सक्रीय रहेगा? क्षेत्रवासियों का फरीदाबाद की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति कोई योगदान क्यों नहीं है।