बिन मास्क लगाए अस्पताल जाकर अपनी ‘वीरता’ का परिचय दे रहे हैं शहरवासी : मैं हूँ फरीदाबाद

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नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद और आज मैं आप सभी का परिचय करवाने आया हूँ उन लोगों से जिन्होंने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। अरे इन लोगों के पास दिव्य शक्तियां हैं जो इन्हे वैश्विक आपदा से बचा रही हैं। क्या हुआ ? सुनकर चौंक गए ?

मैं भी बिलकुल आप ही की तरह हैरान रह जाता हूँ जब मैं इन खतरों के खिलाड़ियों को अपने प्रांगण में देखता हूँ। आप जानते ही होंगे कि कैसे पूरा विश्व अभी महामारी की चपेट में है पर क्षेत्र के इन सूरमाओं को बिमारी का डर नहीं। तभी तो बिन मास्क लगाए यह लोग इधर उधर कहीं भी निकल जाते हैं।

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अरे बाकी सब कुछ छोड़िये इन वीरों को तो अस्पताल में भी मास्क की जरूरत नहीं पड़ती। क्या बिमारी और क्या संक्रमण यह लोग तो दिव्य शक्तियों क साथ पैदा हुए हैं इन्हे कहाँ कुछ होने वाला है। तभी तो भय मुक्त यह लोग बीके अस्पताल के प्रांगण में भी बिन मास्क और सामाजिक दूरी का पालन किए अपने आप में मसरूफ रहते हैं।

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अब सोचने वाली बात तो यह हैं कि जिस अस्पताल में महामारी के मरीजों की देख रेख की जा रही है अगर वहीँ पर लोगों का यह हाल होगा तो बाकी तो फिर राम ही मालिक है। पर यह सोचकर हैरानी होती है कि जब यह लोग अस्पताल में ऐसी हरकते करते हैं तो वहाँ मौजूद कार्य प्रणाली क्या कर रही होती है?

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क्या बीके अस्पताल में मौजूद आलाकमान अधिकारी और चिकित्सक महामारी के परिणाम से ज्ञापित नहीं ? क्या उन्हें नहीं पता कि संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है ? तो जब अस्पताल के प्रांगण में महामारी से जुड़े निर्देशों की नाफरमानी की जाती है तो उसके जवाब में कड़े कदम क्यों नहीं उठाए जाते ?

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पर प्रशासन और कार्य प्रणाली भी क्या कर सकते हैं ? वो तो नियम लागू कर निर्देश दे सकते हैं उन नियमों के पालन करने का जिम्मा तो फरीदाबाद की आवाम के जिम्मे है। मैं आप सभी को समझाना चाहता हूँ कि कुत्ते की दुम बनने से बेहतर है कि आप अपने अंदर बदलाव लाएं।

बिन मास्क लगाए अस्पताल जाकर अपनी 'वीरता' का परिचय दे रहे हैं शहरवासी : मैं हूँ फरीदाबाद

सावधानी जरूरी है क्यों कि खतरा अभी टला नहीं है। महामारी के अंश हमारे बीच में ही हैं उन्हें मिटाने के लिए निर्देशों का पालन करना जरूरी है।