क्या इस बार भी बेड के नाम पर अस्पालों में ‘आश्वासन’ दिलवाएगा फरीदाबाद प्रशासन : मैं हूँ फरीदाबाद

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नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद आज महामारी से जुड़े कुछ अहम मसलों पर बात करने आया हूँ। महामारी के शुरू होने के बाद से ही पूरे विश्व में प्रलय मचा हुआ है जिसपर विराम लगना अब मुश्किल हो चुका है। ऐसे में देश का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सक्रीय होने का दावा कर रहा है।

पर बात की जाए दिल्ली-एनसीआर की तो यहाँ पर अस्पातों में बेड मिलने के नाम पर अब आश्वासन दिया जा रहा है। राजधानी में तो त्राहिमाम मचा ही हुआ था पर अब इसके निशान एनसीआर में भी देखे जा सकते हैं।

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बात की जाए फरीदाबाद क्षेत्र की तो यहाँ स्थित सरकारी अस्पताल में जुमलों के अलावा और नहीं हो पा रहा है। बिमारी के शुरू होने के साथ ही फरीदाबाद कार्य प्रणाली डगमगाई हुई नजर आ रही है। ना अस्पताल में आला इंतजाम हैं और ना ही बिमारी से जुड़े निर्देशों का पालन हो पा रहा है।

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आपको याद ही होगा कैसे बिमारी के बढ़ते चरम के साथ बीके अस्पताल में बेड की कमी हो गई थी। अब एक बार फिर से बिमारी का दायरा आसमान छू रहा है ऐसे में फरीदाबाद की तैयारियों पर पुनः प्रश्नचिन्न अंकित किया जा रहा है।

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ख़ास बात तो यह हैं कि बीके अस्पताल में महामारी के मरीजों के इलाज किया जाता है पर अस्पताल के प्रांगण में ही लोग बिना मास्क लगाए घुमते रहते हैं और निर्देशों का पालन नहीं किया जाता। ऐसे में संक्रमण का बढ़ना लाजमी है।

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बात की जाए फरीदाबाद कार्य प्रणाली की तो हर बार यह कहा जाता है कि प्रशासन की तरफ आला कदम उठाए जा रहे हैं पर सोचने वाली बात यह है कि आपातकाल की स्थिति में काम ढीला क्यों पड़ जाता है ?

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अब प्रशासन बढ़ते संक्रमण के साथ खुद के सक्रीय होने का दावा कर रहा है पर हाल तो अभी भी बेहाल हैं। कन्टेनमेंट जोन में ही लोग सामाजिक दूरी की धज्जियां उड़ा कर घूम रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में अधिकारी बिन मास्क लगाए काम कर रहे हैं।

अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बेड की किल्लत है और साथ में प्रदूषण ने भी लोगों का दम घोंट रखा है। ऐसे में फरीदाबाद कार्य प्रणाली के आगे सबसे बड़ा यही है कि क्षेत्र की आवाम को कैसे सुरक्षित रखा जाएगा ?