हमारे देश औरतों के लिए एक ऐसी बड़ी विडंबना है कि जिसे भूला नहीं जा सकता। वो है लड़कियों की शादी, जी हां पहले के समय में हर माता पिता अपनी बेटियों को शादी के लिए हर तरह की नसीहत समझाते थे जैसे कि बेटी पराया धन होती है उसे दूसरे के घर जाना है।
बेटी को ससुराल जाकर सास ससुर की सेवा करना है, जल्दी उठना है, ज्यादा नहीं बोलना है इत्यादि। ताकि बेटी को कभी भी ससुरालवाले से सुनना न पड़े।
लेकिन अब समय के साथ साथ जमाना बदल गया है। अब मां-बाप भी अपनी बेटियों की शादी ऐसे ही घर में कराना चाहते हैं, जहां वो खुलकर जी सके, नौकरी कर सके, मन के कपड़े पहन सके।
इसके वो अब अपनी बेटी को अलग ही नसीहत देते है। लड़कियां आत्मनिर्भर बन रही हैं। अब जीवनयापन करने के लिए उन्हें घुट-घुटकर जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता।
आपको बता दे कि ससुराल और मायका दोनों का रहन सहन अलग होता है। शायद आपको वहां कुछ चीजें अच्छी लगे तो कुछ सुविधाओं में कमी रह जाए।
ऐसे में शुरुआती दिनों में उनके घर के रहन सहन और तौर तरीकों को अच्छे से समझें।
वहीं ससुराल में कौन कैसा है इसे लेकर जल्दी से अपनी राय न बनाए। हो सकता है जब आप वहां जाए तब वो व्यक्ति किसी टेंशन में हो और इस वजह से ऐसा व्यवहार कर रहा हो। सभी के नेचर को आराम से समझे और उसके अनुसार अपना व्यवहार रखें। घर में सबकी मदद को हमेशा आगे रहें। यह मदद भी खुशी खुशी करें।
इससे सामने वाले को एक अपनेपन का एहसास होगा और सबसे अहम बात ससुराल और मायके की तुलना भूलकर भी न करें। यहां आपको कुछ अच्छा लगेगा और कुछ बुरा लगेगा।