हर देश का अपना अलग धर्म और परंपरा होता है और अलग धर्म के साथ अलग रीति रिवाज भी होते है। जिसे लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते है।
मलयेशिया के थईपुसम त्योहार में लाखों तमिल श्रद्धालु शरीक होते हैं। भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए वे अपना शरीर सैकड़ों खूंटियों से छेदते हैं। भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) के भक्तों के लिए थईपुसम साल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।
वैसे तो यह पूरे दक्षिण भारत, श्रीलंका और सिंगापुर में मनाया जाता है, लेकिन मलेशिया में कुआलालंपुर के पास बातू गुफ़ाओं में सबसे ज़ोरदार उत्सव होता है। यहां यह त्योहार 1892 से मनाया जा रहा है। हर साल की शुरुआत में लगभग 15 लाख लोग कई दिनों के लिए यहां आते हैं। उत्सव के दौरान हज़ारों लोगों को ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए गुफ़ा की ओर बढ़ते हुए देखा जा सकता है।
आपको बता दे कि यह पर्व मलेशिया की ‘सच्ची भावना’ को प्रदर्शित करता है। यह त्योहार तमिल हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई के रुप में देखा जाता है और इससे जुड़ी कई सारी पौराणिक कथाएं इतिहास में मौजूद हैं। मुरुगन भगवान शिवजी के नियमों का पालन करते हैं और उनके प्रकाश तथा ज्ञान के प्रतीक हैं।
जो हमें जीवन में किसी भी तरह के संकटों से मुक्ति पाने की शक्ति प्रदान करते हैं और थाईपुसम के त्योहार का मुख्य मकसद लोगो को इस बात का संदेश देना है कि यदि हम अच्छे कार्य करेंगे और ईश्वर में अपनी भक्ति को बनाये रखेंगे तो हम बड़े से बड़े संकटो पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।