नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद और आज नए साल के पहले दिन पर आप सभी को शुभकामनाएं देता हूँ। खैर हम सब जानते हैं कि गत वर्ष यानि कि साल 2020 पूरे देश लिए बर्बादी का सबब बन गया था। महामारी ने हर किसी को अपने घर में कैद कर दिया वहीं बहुत से मजदूर मजबूर होकर सडकों पर आ गए और अपने घरों की ओर पलायन करते हुए आगे बढ़ने लगे।
रोटी, कपड़ा और मकान बस यही चाहता है एक आम इंसान, पर बीमारी के इस दौर में बहुत से लोग इन सभी चीजों से महरूम रह गए। पर बीमारी से मेरे क्षेत्र में मौजूद आलसी कर्मचारियों को राहत की सांस लेने का मौका मिल गया।
क्योंकि जिस विकास कार्य को पूरा करवाने की तलवार उनके सिर पर टंग रही थी वो कुछ समय के लिए ही सही पर गायब हो गई। पर मैं पूछता हूँ कि जिस काम के लिए सरकारी महकमे से लाखों रूपये दिए गए हैं क्या उन्हें पूरा करना आलाकमान अधिकारियों का कर्तव्य नहीं?
पिछले 2 साल से क्षेत्र की बड़खल झील में पानी उतारने की बात चल रही है। पर मुझे लग रहा है कि वो बातें महज़ बाते हैं क्यूंकि स्मार्ट सिटी वालों ने जनता और सरकार को जुमलों का झुनझुना पकड़ाया हुआ है। पर मैं इस बात से पूर्ण रूप से अवगत हूँ कि इस बार भी पानी उतारने के स्थान पर कार्य प्रणाली ने जनता को ही बोतल में उतारा है।
अब बात की जाए एक और जुमले की तो वो नगर निगम के महकमे से सामने निकलकर आया है वो जुमला है ऑडिटोरियम। इस ऑडिटोरियम के निर्माण कार्य की गति को देख कर प्रतीत हो रहा है जैसे ये दशक के बाद ही पूरा होगा। खैर निगम प्रणाली का कहना है कि जल्द से जल्द काम पूरा हो जाएगा पर वादों का क्या है जनाब वो तो आसानी से तोड़ दिए जाते हैं।
विज्ञान भवन भी झूठे वादों में से एक है। भवन निर्माण को बनाते हुए अर्सों हो गए पर अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया। ऐसी बहुत सी निर्माणाधीन इमारतें हैं जिनका काम पूरा नहीं हो पाया। अब 2021 से ही उम्मीद की जा सकती है कि इस साल यह सारे काम पूरे हो जाएंगे।