लगभग 2 महीने पहले फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में एक होनहार बेटी व बीकॉम की छात्रा निकिता तोमर और उसके जीवन को सरेआम लव जिहाद की भेंट चढ़ा दिया गया था। जिसके बाद ना सिर्फ हरियाणा बल्कि अन्य राज्य भी लवजिहाद को लेकर टिप्पणी करते हुए और सख्त कानून बनाने का राग लाते हुए हुए दिखाई दिए थे।
बेहद लोगों ने इस दर्दनाक अंत का विरोध प्रदर्शन भी किया। तो कहीं सड़क जाम तो कहीं पथराव जैसी स्थिति भी देखने को मिली थी। वही लगभग 2 महीने बाद भी हरियाणा सरकार लव जिहाद पर कोई सख्त कानून बना पाने में अभी तक नाकामयाब साबित हुई है।
वही बात करें इस घटना से प्रेरणा लेकर लव जहाज को सख्त बनाने वाले राज्य में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में एक नया ही मुकाम हासिल किया है। और इस घटना के लगभग 2 महीने बाद अपने-अपने राज्यों में लव जिहाद को लेकर एक सख्त कानून बनाकर अपने राज्य वासियों को आदेश के रूप में दिया है। वही अगर बात की जाए कि जिस राज्य में उक्त घटना घटी हुई थी।
उस राज्य सरकार द्वारा क्या सख्त कदम उठाए गए या फिर क्या सख्त कानून बनाए तो परिणाम और जवाब होगा कुछ भी नहीं। अजीब है ना जिस राज्य में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे नारे को इतनी बुलंदियों तक पहुंचाया जाता है।वही लव जिहाद की भेंट चढ़ी एक बेटी को इंसाफ दिलाने में हरियाणा सरकार सबसे पीछे खड़ी हुई दिखाई दे रही है।
यूपी राज्य में बनाए गए कानून के मुताबिक, ज़बरदस्ती प्रलोभन से किया गया धर्म परिवर्तन संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा। वहीं इस कानून को तोड़ने पर कम से कम 15 हज़ार रुपये जुर्माना और एक से पांच साल तक की सज़ा भुगतनी पड़ेगी। यही काम नाबालिग या अनुसूचित जाति या जनजाति की लड़की के साथ करने में कम से कम 25 हज़ार रुपये जुर्माना और 3 से दस साल तक की सज़ा होगी।
गैरकानूनी सामूहिक धर्म परिवर्तन में कम से कम 50 हज़ार रुपये जुर्माना और 3 से 10 साल तक की सजा होगी। धर्म परिवर्तन के लिए तयशुदा फॉर्म भरकर दो महीने पहले जिलाधिकारी को देना होगा। इसका उल्लंघन करने पर 6 महीने से 3 साल की सज़ा और कम से कम 10 हज़ार रुपये जुर्माना होगा।
वही मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने गुरुवार को पुलिस और कानून विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 के साथ उत्तराखंड और यूपी के कानूनों पर चर्चा हुई। बैठक में तय हुआ कि कानून में सज़ा 5 से बढ़ाकर 10 साल की जाएगी।
गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ऐसे विवाह कराने वाले धर्मगुरु, काजी या मौलवी को 5 साल सजा हो सकती है। उनका पंजीयन निरस्त हो जाएगा. धर्मांतरण कराने से पहले एक माह पूर्व सूचना देनी होगी। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या संरक्षक अभिभावक द्वारा की जा सकती है। यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा।