वर्ष ज़रूर बदला है लेकिन महिलाओं के प्रति अभी भी लोगों की सोच नहीं बदली है। जिले में सरकारी और सामाजिक संगठनों की ओर से नए वर्ष में नारी सशक्तीकरण की दिशा में किए गए प्रयास सार्थक नतीजे देंगे। महिलाएं स्वावलंबी बनेंगी, तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। पिछले वर्ष राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के सौजन्य से पलवल में ग्रामीण बाजार शुरू किया गया था।
महिलाओं के प्रति लोगों की सोच ना जाने कोनसे वर्ष में बदलेगी। देश में अभी ऐसे बहुत से लोग हैं जो कहते हैं कि महिलाओं की जगह बस रसोई में है। पलवल की तर्ज पर इस साल फरीदाबाद में ग्रामीण बाजार खोला जाना है। ग्रामीण बाजार स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही संचालित करती हैं।
महिला सशक्तिकरण आज पूरे विश्व में एक नयी पहचान लेकर बढ़ा है। सशक्तिकरण बहुत महत्त्व रखता है। आपको बता दें जो बाजार खोले जाने हैं इनमें बाजारों में महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों की ही बिक्री होती है। नाबार्ड का मकसद ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ आर्थिक रूप से मजबूत बनाना भी है।
ग्रामीण इलाका हो या फिर शहरी सभी जगह महिलाओं का सम्मान नहीं किया जाता है। प्रशासन द्वारा ये जो बाज़ार खोले जाने हैं इनमें ग्रामीण बाजार में ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित जूट बैग, फैंसी बैग, मास्क, सूती जैकेट, टेराकोटा की कृतियां, अचार तथा देसी घी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
भारतीय महिला सबसे ज़्यादा शक्तिशाली मानी जाती है। आपको बता दें ये जो बाज़ार हैं इनकी खास बात यह है कि नाबार्ड की ओर से पहले महिलाओं को उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, फिर उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जा रहा है। इस वर्ष भी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं विभिन्न प्रशिक्षण हासिल करेंगी।