फरीदाबाद : महामारी ने जैसे ही देश में दस्तक दी वैसे ही लोगो के जीवन पर पूर्णविराम लग गया। इसका असर शिक्षा पर भी देखने को मिला है , कई महीनो तक स्कूल बंद पड़े रहे जब महीनो स्कूल खुलने के आसार नहीं नजर आये तो ।
ऑनलाइन क्लॉस के जरिये बच्चो को पढ़ाया जाने लगाया। हालाँकि की अभी भी इस बीमारी का डर लोगो के मन से गया नहीं है लेकिन अब बच्चे अपना प्रमाणपत्र दिखाने के बाद बच्चे अब स्कूल जा सकते है
हालंकि कोविद से लोगो के व्यापार को हानि भी झेलनी पड रही है जंहा एक स्कूल बंद हुए वही दूसरी और इसका असर सीधे स्टेशनरी कारोबारियों पर भी देखने को मिला इसके अलावा जो यूनिफॉर्म बेचने की दूकान चलते है उनको भी इस महामारी झेलनी पड़ रही है
क्या कहते है बुक विक्रेता
मल्होत्रा बुक डिपो के मालिक अमन मल्होत्रा का कहना हैं कि इस महामारी के समय सबसे ज्यादा नुक्सान स्कूलों को और पुस्तक विक्रेताओं को हुआ है। आज जब पूरा देश से लाकडॉन हट चुका है, बच्चे मॉल में, शादियों में घूम सकते हैं तो स्कूल में पड़ने के लिए क्यों नहीं जा सकते।
पुस्तक विक्रेताओ की सबसे ज्यादा खरीदी मार्च-अप्रैल के समय होती थी और उस समय पूरा देश मैं लाकडॉन था। ऑनलाइन पढ़ाई के वजह से बच्चों को पैन,पेंसिल और किताबों की जरूरतो में कमी आई हैं।
जहाँ पहले एक दिन में 100 ग्राहक का आना जाना था वही अब यह संख्या गिर के बस 1 ग्राहक की हो गई हैं। लाकडॉन से पहले रविवार को सबसे ज्यादा बिक्री होती थी आज उस दिन दुकान बंद रखी जा रही हैं।