कुछ करने की चाहत हो तो संसाधनों का अभाव इंसान काे कमजोर कर देता है। मगर हरियाणा के रोहतक जिले के गांव सीसर खास की बेटी सुनीता कश्यप इस बात से इत्फाक नहीं रखती। अभ्यास के लिए सुविधा नहीं मिली तो घर में ही ईंट-पत्थरों को वेट बनाकर अभ्यास कर सुनीता वेट लिफ्टिंग में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन गई। देश-विदेश में मेडल जीत रही हैं।
खिलाड़ी बेटी के पास रहने के लिए खुद की जमीन नहीं है पंचायती जमीन में ही कच्ची ईंटों के दो कमरे बने हैं, उन पर दरवाजे नहीं हैं। वे स्वयं भी मजदूरी करने मां के साथ जाती हैं। उनका सपना ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है।
माता-पिता मजदूरी करते हैं। दरअसल, पहले सुनीता गांव के सरकारी स्कूल में कबड्डी व फुटबाल खेलती थी। उन्हें भारत की वेटलिफ्टर कर्णममल्लेश्वरी के विषय में किताबों से जानकारी मिली तो उन्होंने भी कबड्डी व फुटबाल की बजाय वेटलिफ्टर बनने की ठान ली और घर पर ही लाठी के दोनों सिरों पर ईट पत्थरों को बांधकर वेट लिफ्टिंग की प्रैक्टिस शुरू की।
2018-19 में उन्होंने महम के राजकीय महाविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष में फिर से दाखिला लिया। उन्होंने महम में एक निजी जिम में प्रैक्टिस शुरू की। प्रैक्टिस के दौरान उनका चयन भारत की टीम में कर लिया गया और फरवरी 2020 में थाईलैंड में हुई अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।
उसके बाद कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण उन्होंने एक बार फिर से ईंटों व पत्थरों को अपना साथी बना लिया और अपना अभ्यास जारी रखी। अब फरवरी में युक्रेन में होने वाली अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में मेडल जीतने के लिए पसीना बहा रही हैं। कोच गोपाल राय व संदीप कड़वासरा के मार्गदर्शन व माता-पिता के अथक प्रयासों से वे इस मंजिल तक पहुंची हैं।
सुनीता के पिता ईश्वर व माता जमुना का कहना है कि बेटी को विश्वस्तरीय चैंपियनशिप में भेजने के लिए उन्होंने एक लाख रुपये गांव से ही ब्याज पर लिए और ईनाम में जीती राशि से उन्होंने कर्ज उतारा।
वेटलिफ्टर सुनीता ने बताया कि विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल आने के बाद कोच संदीप टीम सहित उन्हें सरकारी नौकरी व आर्थिक सहायता दिलवाने के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिले थे। राजनाथ सिंह ने इन्हें आश्वासन भी दिया था लेकिन लॉकडाउन लग गया।
सुनीता जुनूनी खिलाडी हैं। वे अपने काम के साथ-साथ प्रैक्टिस भी कर रही हैं। फरवरी 2021 में युक्रेन में होने वाली अंतरराष्ट्रीय वेट लिफ्टिंग चैंपियनशिप में एक बार फिर से गोल्ड जीतेंगी। वे खुद समय समय पर उनकी प्रैक्टिस के लिए उन्हें प्रेरित करते रहते हैं।
जिस पंचायती जमीन में सुनीता व परिवार रह रहा है। उस जमीन को इनके नाम अलॉट करवाने के लिए वे गांव के पंचों व गणमान्य व्यक्तियों से सलाह मश्विरा करके जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरा करेंगे। फरवरी में युक्रेन में होने वाली चैंपियनशिप के लिए उन्हें अपने पास से 21 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी देंगे।
सुनीता ने अब तक जीते ये मेडल
– जून 2018 में 52 किलाग्राम भार में राज्यस्तर पर बहादुरगढ़ में गोल्ड मेडल।
– जून 2019 में सोनीपत में राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
– अक्टूबर 2019 में लोहारू में राज्यस्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
– अक्टूबर 2019 में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में हुई नार्थ इंडिया चैंपियनिशप में गोल्ड मेडल।
– फरवरी 2019 में छत्तीसगढ में हुई राष्टीय स्तर की चैंपियनिशप में भी गोल्ड मेडल।
– फरवरी 2020 में थाईलैंड के बैंकाक में हुई विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल।
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