एक तरफ ठिठुरन देने वाली सर्दी और दूसरी ओर महामारी का संक्रमण। दाेहरी समस्या के बीच शहर में सफाई व्यवस्था एक बार फिर लड़खड़ा गई है। स्वच्छता सर्वेक्षण की कामयाबी के लिए नगर निगम के अधिकारी भले ही प्रयास कर रहे हैं, मगर शहर को कचरा मुक्त करने के काम में लगी इकोग्रीन की कार्यप्रणाली अभी सुधरी नहीं है।
ईकोग्रीन कंपनी की गाड़ियां ना जाने ऐसा कितना काम करती हैं कि हर दूसरे दिन ख़राब होकर बैठ जाती हैं। हालात यह हैं कि जिन वार्डों को आदर्श बनाने का काम चल रहा है, उन वार्डों में भी घर-घर से कचरा एकत्र करने को पर्याप्त वाहन नहीं जा रहे हैं और जो जा भी रहे हैं वो खटारा हैं।
कंपनी के 60 कचरा वाहन तकनीकी खामी आने से बंद हो गए हैं। पिछले वर्ष तत्कालीन निगमायुक्त डा.यश गर्ग के प्रयासों से वार्ड नंबर 7, 12, 27, 30 और 35 को आदर्श वार्ड बनाने की पहल शुरू की गई थी। अब तक किसी भी वार्ड में पूरी तरह से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग नहीं किया जा रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 सिर पर है, मगर इकोग्रीन की ओर से अभी तक वाहनों में गीला व सूखा कचरा एकत्र करने को कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
सेंसर पर आधारित इन वाहनों में कुछ खामियां होने से चालू नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण कंपनी की गाड़ियां घरों तक कचरा लेने नहीं पहुुंच रही हैं। शहर में रोजाना 800 टन कचरा निकल रहा है। इकोग्रीन के रिकार्ड के अनुसार घर-घर से कचरा एकत्र करने को 285 वाहन चल रहे हैं। इनमें से 60 से अधिक वाहन डबुआ कालोनी स्थित इकोग्रीन के प्लांट में खराब पड़े हैं।
सारे शहर में कचरा कलेक्शन का सिस्टम बिगड़ गया है। वार्ड नंबर 7 में 6, वार्ड 12 में 5, वार्ड 27 में 11, वार्ड 30 में 2 तथा वार्ड 35 में 8 वाहन चल रहे हैं। नगर निगम ने सफाई व्यवस्था की मॉनीटरिंग के लिए एक कंट्रोल रूम बनाया है। सुबह 6 से शाम को 5 बजे तक यहां ईको ग्रीन कंपनी का स्टाफ बैठता है।