हमारे देश में एक ऐसा समाज है जिसकी आमतौर लोग कदर नहीं करते। उनको एक अलग दर्जा दिया जाता है। आज हम बात कर रहे है किन्नर समाज में रहने वाले लोगो की। भारत में किन्नरों को अलग – थलग कर दिया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि न तो उन्हें पुरुषों में रखा जाता है और न ही महिलाओं में।
कुछ इसी तरह की कहानी है सूरत की रहने वाली किन्नर राजवी जान की। जिस तरह से समाज में किन्नरों को अलग रखा जाता है वहीं राजवी के घर वाले उन्हें अपने साथ ही रखते है। राजवी के परिवार वालो ने उन्हें इस काबिल बनाया है कि वह आज अपने बलबूते पर एक अच्छा मुकाम हासिल कर चुकी है।
कैसे बिताएं महामारी के दिन
राजवी ने एक इंटरवियू के दौरान बताया की सबसे पहले उन्होंने एक पेट्स की शॉप खोली थी मगर महामारी के चलते यह बंद करदी हालांकि कमाई काफी अच्छी चल रही थी। जब उनका यह कारोबार बंद हुआ तो इससे राजवी बेहद परेशान हुए जिसके चलते उन्हें आत्महत्या के ख्याल भी आए मगर परिवार के साथ रहकर उन्होंने हिम्मत मिली और अक्टूबर में उन्होंने नमकीन की शॉप खोली।
परिवार ने कभी बेटे से अलग नहीं समझा
राजवी का कहना है कि उनके घरवाले उन्हें बेहद प्यार व सम्मान के साथ रखते है। बाकी लोग अपने बच्चो को किन्नरों के समाज में भेज देते है ताकि वह अपना पालन पोषण खुद कर सकें, लेकिन राजवी की मां को राजवी से बहुत लगाव है। उन्हीने कहा, ‘ मुझे बचपन से एक बेटे के रूप में पाला गया था, साथ ही मैं कपड़े भी लड़को वाले पहनती थी। अन्य माता पिता भी मेरे जैसे बच्चो को अच्छे से पाल सकते है जिससे कि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें और सामान्य जीवन बिता सकें ‘।
पढ़ाई के साथ और भी काम किए
राजवी के माता पिता ने उनको इतनी अच्छी शिक्षा प्रदान की थी कि वह 18 साल की उम्र से बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाया करती थी। उनकी कोचिंग लगभग 11 साल तक चली। राजवी के पास काफी बच्चे आते है जो उनसे शिक्षा प्रदान करते है। राजवी भी अपनी तरह बाकी बच्चो को भी पढ़ना लिखना चाहती है ताकि प्रत्येक बच्चा अपने पैरों पर खड़ा हो सके और देश का नाम रोशन कर सकें।
राजवी को परिवार का साथ मिला तो उन्होंने भी अपने जज्बे से मुकाम बनाया। आज राजवी नमकीन की शॉप चलाती हैं और उनकी रोजाना की कमाई 1500 से 2000 हजार रुपए के बीच है जो कि सरहानीय है।
Written by – Aakriti Tapraniya