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शिक्षक थे पहले पढ़ा रहे थे अब किसान बन हमें खिला रहे हैं, लाखों में कर रहे हैं कमाई

हमारे देश में खेती को बहुत महत्व दिया जाता है। और अब लोग एडवांस फार्मिंग पर ध्यान दे रहे है ऐसी ही एक एडवांस फार्मिंग की कहानी पेश करते है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले के रहने वाले श्याम सिंह की जो इसी मॉडल खेती कर रहे हैं।

फूड फॉरेस्ट या फॉरेस्ट गार्डन। ऐसी जगह जहां एक साथ अलग-अलग वेराइटी के हजारों प्लांट्स हो। यानी एक ही बगीचे में फल-फूल, सब्जियां, मसाले सबकुछ लगे हों। बता दे की आमतौर पर इसके लिए सेवन लेयर या फिर फाइव लेयर मॉडल पर खेती की जाती है। इसे एडवांस फार्मिंग भी कहा जाता है। इस मॉडल पर कम संसाधनों में ज्यादा कमाई की जा सकती है।

शिक्षक थे पहले पढ़ा रहे थे अब किसान बन हमें खिला रहे हैं, लाखों में कर रहे हैं कमाई



श्याम सिंह ने अपनी 10 एकड़ जमीन को फूड फॉरेस्ट में बदल दिया है। दरअसल उनके बगीचे में एक दर्जन से ज्यादा वेराइटी के फ्रूट्स, इसके साथ ही सभी सीजनल सब्जियां, हल्दी, व अदरक जैसे प्लांट्स हैं। श्याम सिंह पिछले पांच साल से खेती कर रहे हैं। इससे प्रति एकड़ एक लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है।

श्याम सिंह के बेटे उनके काम से इतने ज्यादा प्रेरित हुए की दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़े उनके बेटे अभय ने भी खेती को ही करियर बना लिया है। अब वह अपने पिता के साथ खेती में हाथ बंटा रहे हैं। श्याम सिंह बताते हैं कि पहले वह टीचर की नौकरी करते थे वह बताते है कि 90 के दशक में उनके परिवार में दो लोगों की कैंसर होने से जान चली गई थी।

इसके चलते कई लोगों की तबीयत भी खराब हो गई थी। तब उन्हें एहसास हुआ कि लोगों की तबीयत ख़राब खाना खाने की वजह से हो रही हैं वे बताते है केमिकल वाला खाना इसके पीछे बड़ी वजह हो सकता है। काफी दिनों तक उनके मन में इस तरह के ख्याल चलते रहे। इसके कुछ समय बाद श्याम सिंह ने टीचर की नौकरी छोड़कर खेती करने का फैसला किया।

दरअसल श्याम सिंह शुरुआत में पारंपरिक खेती करते थे।साल 2017 में उन्होंने ऑर्गेनिक तरीके से फलों और सब्जियों की फाइव लेयर मॉडल यानी एक साथ पांच फसलों की खेती करना शुरू किया। श्याम सिंह के बेटे 21 साल के अभय बताते हैं कि दिल्ली में रहने के दौरान उन्हें खाने-पीने की दिक्कतें हुआ करती थीं।

वहां ना तो अच्छा खाना मिलता था और न ही शुद्ध पर्यावरण। गांव वापस आने के बाद वह अपने पिता के साथ खेत पर जाया करते थे। साल 2019 में ग्रेजुएशन करने के बाद अभय वापस दिल्ली नहीं गए और गांव में ही रहकर खेती करने का फैसला किया।

फाइव लेयर मॉडल पर खेती का श्याम सिंह को फायदा मिला। कम लागत और कम वक्त में ज्यादा प्रोडक्शन होने लगा। अब एक खास सीजन के बजाय हर दिन उनके खेत से प्रोडक्ट मार्केट में जाने लगा। अब श्याम सिंह और उनके बेटे अभय एडवांस फार्मिंग करते हैं। और उनके महीने की कमाई लाखों में हैं।

Avinash Kumar Singh

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