भले ही शरीर साथ ना दे मगर हिम्मत टूटने नहीं देंगे। अपने न्याय के लिए लड़ रहे हैं और जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक अपनी मांग पूरी करने के लिए लड़ते रहेंगे।
ऐसा ही जज्बा कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे दिल्ली बॉर्डर के सैकड़ों किसानों में देखने को मिल रहा है।
ना केंद्र सरकार कृषि कानून वापस लेने को तैयार हैं और ना ही किसान अपने पथ से कदम पीछे हटाने को तैयार है।
ऐसे में किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे किसान नेता गुरनाम सिंह महम हलके के गांव अजायब पहुंचे।
जहां उन्होंने बताया कि सभी के सहयोग से आंदोलन बहुत बेहतर ढंग से आगे बढ़ रहा है।
इतना ही नहीं उन्होंने तो यह तक कह दिया कि जिस दौड़ से आंदोलन आगे बढ़ रहा है ऐसे में सरकार को किसानों के आगे झुकना ही होगा।
उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वह सभी प्रकार से आपसी सद्भाव बनाए रखें। राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते किसी प्रकार का जातीय द्वेष नहीं फैलने दे।
उन्होंने बताया कि दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में प्रदेश वासी दिल खोलकर सहयोग व समर्थन कर रहे हैं, यही कारण है कि किसान सफलता की ओर अग्रसर होते हुए दिखाई दे रहें हैं।
नेता चढूनी ने आगे कहा कि किसानों के साथ मजदूर व दलित वर्ग से भी आंदोलन का हिस्सा बनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कृषि आधारित मजदूर वर्ग की आजिविका कृषि पर ही निर्भर करती है।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि नि:संकोच किसान वर्ग का सहयोग व समर्थन करें जिससे चलते तानाशाही प्रवृत्ति की सरकार को कृषि कानून वापस लेने के लिए बाध्य किया जा सके।
इस मौके पर अजायब सहित आसपास के गांवों से सैंकड़ों किसान व खेतीहर मजदूर आदि मौजूद रहें।
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